कानपुर (हि.स.)। मानसून बारिश का समय खत्म होने जा रहा है और सितम्बर माह में मई व जून जैसी गर्मी पड़ रही है। इससे लोग बेहाल हैं और किसान भी फसलों को मुरझाते देख हैरान हैं। हालांकि बंगाल की खाड़ी में बन रहे कम दबाव के क्षेत्र से उत्तर प्रदेश के मध्य और पूर्वी क्षेत्र में बारिश के आसार दिख रहे हैं। यही नहीं, बुधवार को बुन्देलखण्ड के चित्रकूट और महोबा में बूंदाबांदी शुरू हो गई है, लेकिन मौसम का यह बदलाव अधिक दिनों तक नहीं रहेगा।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने बुधवार को बताया कि आमतौर पर खुशगवार रहने वाला सितम्बर माह इस साल लोगों को मई-जून की भीषण गर्मी की यादें ताजा करा रहा है। शुरुआत के पांच दिन चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी के नाम रहे। इस दौरान लगातार तापमान सामान्य से अधिक रहा। हालांकि अब बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने से बुधवार को आसमान में बादलों की आवाजाही शुरू हो गई और कई जनपदों में हल्की बारिश भी हुई। इससे कुछ राहत मिल सकी, लेकिन ऐसा मौसम तीन दिन ही रहेगा और इसके बाद फिर तापमान बढ़ेगा। अगर अगस्त और सितम्बर माह की बारिश को देखा जाये तो औसत से कम बारिश हुई। ऐसे में मानसून की बेरुखी से किसान और व्यापारी दोनों ही चिंतित हो रहे हैं। चटक धूप और बादलों के गायब होने से फसल मुरझाने लगी है। अगर फसल खराब हुई तो कारोबार पर भी बुरा असर पड़ना तय है।
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही गर्मी
आईएमडी के मुताबिक 1901 के बाद इस साल का अगस्त सबसे गर्म और शुष्क रहा है। अब देश के कई हिस्सों में सितंबर के शुरुआती चार दिन में भी सामान्य से ऊपर तापमान दर्ज किया गया है। अगस्त में देश के कई हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम की यह अनिश्चितता जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रकोप का सीधा संकेत है। पहाड़ी राज्यों में भी इस समय तापमान सामान्य से 3 से लेकर 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया जा रहा है। सितंबर शुरू होने के बाद भी देश के कुछ हिस्सों में तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है।