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UP ATS ने ISIS से प्रभावित आतंकी मोहम्मद तारिक अतहर को किया गिरफ्तार, पूछताछ ने खोले बड़े राज़

UP ATS ने ISIS से प्रभावित आतंकी मोहम्मद तारिक अतहर को गुरुवार को गिरफ्तार किया है। अतहर गोरखपुर का रहने वाला है। गुजरात ATS के इनपुट पर उसे पूछताछ के लिए लखनऊ बुलाया गया था। यहीं से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में बताया कि उसने ISIS की शपथ ली थी। जिहाद कर शरिया कानून लागू कराना चाहता है।

आरोपी अतहर गोरखपुर के कोतवाली इलाके के वार्ड नंबर-70 स्थित खूनीपुर मोहल्ले में अंजूमन स्कूल के पास रहता है। यूपी एटीएस को गुजरात एटीएस से सूचना मिली थी कि तारिक ISIS की विचारधारा से जुड़ा है। साथ ही बताया गया कि वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय रहकर नवयुवकों को जिहादी विचारधारा से जोड़ रहा है। इनपुट मिलने के बाद अतहर को नोटिस देकर पूछताछ के लिए ATS ने मुख्यालय लखनऊ बुलाया था।

मोबाइल में ये तरह के उर्दू अल्फाज लिखे मिलें।

ISIS के आतंकी और उनकी बंदूकों से था प्रभावित
पूछताछ में उसने बताया कि उसे ISIS के आतंकी और उनकी बंदूकें प्रभावित करती हैं। वह अबू बकर अल बगदादी के वीडियो भी देखता है, जिससे प्रभावित होकर वह मुजाहिद बनकर भारत में जिहाद करना चाहता है और शरिया कानून लागू कराना चाहता है। इसके लिए उसने प्रतिबंधित संगठन ISIS की शपथ भी ली है।

ग्रुप के जरिए खड़ा कर रहा था आतंक का नया मॉडयूल
ATS के मुताबिक, अतहर ने ISIS की विचारधारा से जुड़े व्यक्तियों के ग्रुप में जुड़े होने और उनकी विचारधारा को प्रसारित करने और नौजवानों को ग्रुप में जोड़कर जिहाद के लिए तैयार करने की बात स्वीकार की है। साथ ही टेलीग्राम के विभिन्न ग्रुपों से राष्ट्र विरोधी आपत्तिजनक कंटेंट डाउनलोड कर पढ़ने, अपने पास रखने और उसे शेयर करने की बात भी बताई।

जिहाद से पहले की तैयारी कर रहा था अतहर
उसने यह भी बताया कि वह ISIS के मुजाहिद अबु सईद अल ब्रितानी, अल अदनानी द्वारा हिजरा के महत्व, जिहाद से पहले की तैयारी और जिहाद के लिए सुरक्षा मानक आदि विषयों पर लिखे गए लेखों से प्रभावित है। पूछताछ में यह भी पता चला कि वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय रहकर नौजवानों को जिहादी विचाराधारा से जोड़कर ISKP का एक मॉड्यूल खड़ा कर उनको जिहाद के लिए देश के बाहर ले जाना चाहता है।

ये नक्शा मिला मोबाइल में।

ATS ने दर्ज की FIR
अतहर द्वारा अपना अपराध स्वीकार कर लिए जाने के बाद उसे गिरफ्तार करते हुए उसके खिलाफ ATS के लखनऊ थाने में IPC की धारा 121 A व 123 और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 13, 18 व 38 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जल्द ही उसे कस्टडी रिमांड पर लेकर उसके सहयोगियों के बारे में विस्तृत पूछताछ की जाएगी।

नेपाल आतंकियों का महफूज ठिकाना
दरअसल, नेपाल बॉर्डर से सटे होने की वजह से गोरखपुर जिले में भी आतंकी अपनी गहरी पैठ जमा चुके हैं। साल 2022 में गोरखनाथ मंदिर पर हुए आतंकी हमले से पहले भी हमले का आरोपी मुर्तजा अहमद अब्बासी पहले नेपाल ही गया था। वहां जब उसे हथियार नहीं मिला तो वह बांकी लेकर गोरखपुर पहुंचा और यहां मंदिर की सुरक्षा में तैनात जवानों पर हमला कर दिया।

गोरखपुर के रास्ते हुई थी प्रदेश के धार्मिक स्थलों की रेकी
जबकि, इससे पहले राजधानी लखनऊ में रविवार को अलकायदा की विंग अंसार अलकायदा हिंद (AGH) के आतंकी मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर के पकड़े जाने के बाद भी आतंकियों का गोरखपुर कनेक्शन सामने आ चुका है।

उस वक्त इस मामले की जांच कर रही ATS और खुफिया का दावा था कि करीब दो साल पहले ही नेपाल वाया गोरखपुर के रास्ते आतंकियों ने प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों की रेकी की थी। इसके बाद ही गोरखनाथ मंदिर पर हमला भी हुआ था।

गोरखपुर के शख्स ने रेकी कर पाकिस्तान भेजी थी फोटो
वहीं, अगस्त 2020 में गोरखपुर कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले एक शख्‍स को एटीएस ने पकड़ा था। पूछताछ में उसने कबूल किया था कि उसने यहां एयरफोर्स स्टेशन, कूड़ाघाट स्थित गोरखा रेजीमेंट और रेलवे स्टेशन की फोटो पाकिस्तान में बैठे अपने आका को भेजी थी।

उसने बताया था कि पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ने उसे कैसे अपने जाल में फंसाया था। इस शख्‍स की पाकिस्‍तान में रिश्‍तेदारी है। 2014 से 2018 के बीच वह कई बार अपने उस रिश्‍तेदार के यहां पाकिस्तान भी गया। इसी दौरान ISI ने उसे हनीट्रैप में फंसा लिया। उसे ब्‍लैकमेल किया गया और वापस लौटने पर जासूसी के काम में लगा दिया गया।

पकड़े जाने पहले फार्मेट कर दिया था मोबाइल
सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर उस शख्‍स पर पांच अगस्त को अयोध्या में राममंदिर निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम को लेकर नजर रखी जा रही थी। इसके बाद उसे गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पास से ATS लखनऊ की टीम ने उठा लिया और अपने साथ लखनऊ लेते गई। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में उस शख्‍स ने कबूल किया कि वह वाट्सएप ग्रुप के जरिए खुफिया जानकारी पाकिस्तानी एजेंसी को भेजता था।

ATS की गिरफ्त में आने से उसने अपना मोबाइल फोन फार्मेट कर दिया था। इससे खुफिया जानकारियां पाकिस्‍तान भेजने का कोई सबूत ATS के हाथ नहीं लग सका। उसके कबूलनामे के अलावा कोई सबूत न होने की वजह से ATS को उसे छोड़ना पड़ा।

3 साल पहले ही जुड़े थे गोरखपुर से तार
दिसंबर 2019 में राम मंदिर फैसले के बाद UPSTF(उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स) ने कुख्यात आतंकी जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम को कानपुर में गिरफ्तार किया था। तभी इस साजिश का खुलासा हो गया था। डॉ. बम यहां संतकरीबनगर ​नगर जिले के बखिरा अमर डोभा का रहने वाला है।

जलीस का एक चचेरा भाई आज भी यहां बखिरा में रह रहा है। पेरोल तोड़कर भागे जलीस ने बताया था कि CAA (नागरिकता संशोधन कानून) और राममंदिर फैसले को लेकर आतंकी संगठनों में आक्रोश है। इसलिए यूपी में सीरियल ब्लास्ट की तैयारी चल रही है।

उसने यह भी बताया था कि यक एक बहुत बड़ा मिशन है, जिसे सरकार नहीं रोक सकती। इसे अंजाम देने के लिए यूपी के हर जिलों में फिदायीन तैयार हो रहे हैं। इन फिदायीनों को बम बनाने की तकनीकी सिखाने के लिए ही वह पेरोल तोड़कर कानपुर पहुंचा था।

अध्योध्या की भी हुई थी रेकी
जलीस अंसारी के कानपुर में पकड़े जाने के कुछ महीने पहले अयोध्या पुलिस ने 7 संदिग्धों को पकड़ा था। इसमें राजस्थान और नेपाल से सटे तराई इलाके के युवक शामिल थे। यह बाइक से घूमकर यूपी के धार्मिक स्थलों की रेकी कर रहे थे। इनके पास से कई धार्मिक स्थलों का नक्शा भी मिला था।

कई दिनों तक इनसे पूछताछ चली। मगर आतंकी कनेक्शन का कोई ठोस सबूत न मिलने की वजह से इन्हें छोड़ना पड़ा था। कुछ दिन बाद बनारस में ISI का एजेंट चंदौली निवासी राशिद अहमद पकड़ा गया। फिर पता चला कि अयोध्या में पकड़े गए युवक रेकी करने के लिए ही भेजे गए थे।

अब तक भारत-नेपाल सीमा से पकड़े गए प्रमुख आतंकी

  • 1991 मे खालिस्तान एरिया फोर्स का डिप्टी कमांडर सुखबीर सिंह।
  • 1991 में ही नेपाल की बढ़नी सीमा पर खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के भागा सिंह और अजमेर सिंह की गिरफ्तारी हुई थी।
  • 1993 में आतंकी टाइगर मेमन।
  • 1995 में ISI एजेंट यासिया बेगम।
  • 2000 में आसिम अली और चार आतंकी।
  • 2002 में परसामलिक थाने के पास कारतूसों का जखीरा पकड़ा गया था जो कि बिहार के MCC उग्रवादियों ने नेपाल के माओवादियों के लिए भेजा था।
  • 2007 में लश्कर के आतंकी सादात रशीद मसूद आलम की गिरफ्तारी।
  • 2009 में मुंबई के आतंकी नूरबक्श और इश्तियाक उर्फ शैतान की गिरफ्तारी।
  • 2013 में आतंकी लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी।
  • 2013 में आतंकी हमलों में 140 लोगों की हत्या के आरोपी और मोस्ट वॉन्टेड आंतकवादी यासीन भटकल की गिरफ्तारी।
  • अब्दुल करीम टुंडा को भी उत्तराखंड में नेपाल की खुली सीमा पर ही गिरफ्तार किया गया था।
  • 2022 में गोरखनाथ मंदिर का हमलावर मुर्तजा अहमद अब्बासी गोरखपुर से पकड़ा गया।
  • 27 जनवरी 2023 में NIA ने गोरखपुर से आतंकी दीपक रंगा को अरेस्ट किया था। दीपक रंगा ने पंजाब के मोहाली स्थित खुफिया विभाग के मुख्यालय पर 9 मई 2022 को रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से हमला किया था।

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