Mahant Balaknath: राजस्थान विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दमदार जीत हासिल की है। बीजेपी ने 200 सदस्यीय विधानसभा में 115 सीटें जीतकर सत्ता फिर एक बार सत्ता में वापसी की है। राज्य चुनावों में बीजेपी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस के खाते में 69, बीएसपी 02 और अन्य के खाते में 13 सीटें आई हैं।
राजस्थान में बीजेपी शानदार की जीत के बाद से अब कौतूहल का विषय बना हुआ है कि बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा?
सबसे पहले बड़ा नाम अलवर से लोकसभा सांसद और तिजारा विधानसभा सीट से जीत हासिल करने वाले महंत बालकनाथ का नाम सुर्खियों में सबसे आगे चल रहा है। बाबा बालकनाथ को दिल्ली बुलाया गया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुझे सेवा करने का मौका दिया है, जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी उसे निभाएंगे।
कौन हैं बाबा बालकनाथ?
बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय के आठवें प्रमुख महंत हैं और राजस्थान की अवलर की लोकसभा सीट सांसद हैं। इसके अलावा हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में तिजारा विधानसभा सीट से उन्होंने जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार इमरान खान को शिकस्त दी है। राजस्थान में टिकट बंटवार के समय से ही बालकनाथ का नाम सीएम उम्मीदवार को तौर पर देखा जा रहा है।
नाथ संप्रदाय से आते हैं बाबा बालकनाथ
बाबा बालकनाथ उसी नाथ संप्रदाय से आते हैं जिससे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते हैं। सीएम योगी नाथ संप्रद्राय की पीठ गोरखधाम के महंत तो बाबा बालकनाथ हरियाणा के रोहतक के मस्तनाथ मठ के महंत हैं। बालकनाथ ने 6 साल की उम्र में ही आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश किया।
यादव परिवार में हुआ बाबा बालकनाथ का जन्म
बाबा बालकनाथ का जन्म अलवर जिले के कोहराना गांव में एक यादव परिवार में हुआ था। पूरा परिवार खेती का काम करता था लेकिन साधु-संतों की सेवा में भी आगे था। यही कारण था कि बाबा बालकनाथ कम उम्र में ही महंत चांदनाथ के साथ हनुमानगढ़ मठ चले गए।
बाबा बालकनाथ का सियासी सफर
बाबा बालकनाथ के सियासी सफर की बात करें को उनके राजनीतिक शुरूआत साल 2019 के लोकसभा चुनावों से हुई। वो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अलवर से चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद बीजेपी ने तिजारा विधानसभा सीट पर उन पर दांव खेला यहां भी उन्होंने जीत हालिस की और अब सीएम की रेस में हैं। दरअसल, साल 2014 में बीजेपी ने महंत चांदनाथ को अलवर से मैदान में उतारा था और जीत हासिल की थी। लेकिन बीमारी के कारण उनका निधन हो गया और उनचुनावों नें बीजेपी के हाथ ये सीट निकल गई। 2019 में इसी सीट से बाबा बालकनाथ मैदान में उतरे और गुरू की विरासत को आगे बढ़ाया।