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Monkey Video : इंसान और बंदर के बीच दोस्ती और प्रेम की ऐसी कहानी, जो आपको भी रुला सकती है…

 

खबर जनपद अमरोहा से है , अमरोहा में एक वृद्ध से एक बंदर का प्रेम इतना हो गया कि उसके मरने के बाद बंदर वृद्ध की अर्थी पर घंटो तक सुबक सुबक कर रोता रहा और उसकी अर्थी पर लिपट कर अंतिम संस्कार में भी गंगा तिगरी में साथ पहुंचा इस नजारे को देख लोग हैरत में पड़ गए ,कहते हैं जानवर वफादार होता है । तो यह नजारा अमरोहा में देखने को मिला । यूं तो इंसान अब रिश्तों का कत्ल कर रहा है तो वहीं उन लोगों को सीख इस बंदर से लेनी चाहिए जो दो वक्त की रोटी वृद्ध के खिलाने से बंदर को इतना प्रेम बढ़ गया कि लोग आश्चर्यचकित हो गए

ये रिश्ता क्या कहलाता है?

खाना देने वाले की अर्थी से लिपटा रहा बंदर, भूल चुका है भूख-प्यास । रहता है गुमसुम । रामकुंवर सिंह के पास बीते दो महीने से एक बंदर पास आकर बैठ जाता था। रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे। बंदर का उनके पास प्रतिदिन का आना हो गया। वह उनके पास आकर बैठता और खाना खाने के बाद भी काफी देर तक उनके साथ खेलता रहता था। अचानक रामकुंवर का निधन हो गया। पालतू जानवरों का इंसानों के प्रति स्नेह तो अक्सर देखा जाता है, लेक‍िन दो वक्त की रोटी देने वाले व्यक्ति से एक बंदर का लगाव इतना बढ़ गया कि उनके निधन के बाद वह भी गमगीन रहा। वह न सिर्फ अर्थी के पास दिनभर बैठा रहा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए तिगरी तक गया। वाहन में रखी अर्थी से लिपट कर जोया से तिगरी धाम तक पहंचा। बंदर के इस प्रेम को देख कर लोग भी आश्चर्य चकित हो रहे थे। मामला थाना डिडौली के कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कालोनी का है।

खाना खाने पहुंचा बंदर तो सामने द‍िखी बुजुर्ग की अर्थी बंदर लगभग 10 बजे खाना खाने घर पहुंचा तो वहां लोगों की भीड़ थी। बंदर ने भीतर जाकर अर्थी देखी तो उसके पास ही जाकर बैठ गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि बंदर की आंखों में आंसू भी थे। वह काफी देर तक चिता के पास ही बैठा रहा और उसके आसपास ही घूमता रहा। इतना ही नहीं जब स्वजन ने तिगरी धाम ले जाने के लिए अर्थी डीसीएम में रखी तो बंदर भी डीसीएम में सवार हो गया। जोया से तिगरी धाम तक वह अर्थी से लिपटा रहा। वहां अंतिम संस्कार होने तक चिता के पास ही मौजूद रहा और वापस लोगों के सााथ जोया लौट आया अब वह बंदर रामकुंवर के घर ही मौजूद है। हैरत की बात यह है कि उसने कुछ नहीं खाया। रामकुंवर के स्वजन ने भोजन दिया तो कुछ खाना खाया। रामकुंवर के प्रति बंदर का लगाव देख कर लोग आश्चर्यचकित हो रहे थे जब से अंतिम संस्कार से लोटा है बंदर तब से गुमशुम रहता है।

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