Breaking News

Kavach: सुरक्षित रेल यात्रा में क्रांतिकारी साबित हो रही कवच सुरक्षा

भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा के तौर पर जाना जाता है। हर रोज लाखों यात्री भारतीय रेल में सफर करते हैं। रेल में यात्रा को सुरक्षित करने के लिए रेलवे की ओर से कई अहम कदम उठाए गए हैं। देश भर में 1.3 लाख किलोमीटर का रेलवे ट्रैक है, जोकि 7335 रेलवे स्टेशनों को जोड़ने का काम करता है, जिसमे हर रोज 2.3 करोड़ लोग यात्रा करते हैं।

रेलवे हादसों को कम करने और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा मुहैया कराने के लिए भारतीय रेलवे की ओर से कई अहम कदम उठाए गए हैं।

दुनिया की सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क होने के बाद भी भारतीय रेलवे को आजादी के बाद ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन तकनीक को लाने में 70 वर्ष से अधिक का समय लग गया। जिस तरह से भारतीय रेलवे ने कवच सुरक्षा को अपनाया उसके बाद रेल और भी सुरक्षित यात्रा का माध्यम बन गया।

कवच सुरक्षा तकनीक की बात करें तो इसे भारत में ही विकसित किया गया है, इस एटीपी सिस्टम को ट्रेनों को हादसे बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने एचबीएल पावर सिस्टम, केरनेक्स और मेधा, ने मिलकर तैयार किया है, जिसकी मदद से ट्रेन एक्सीडेंट को रोकने में मदद मिलती है।

कवच सिस्टम के जरिए ट्रेनों की स्पीड पर निगरानी रखी जाती है, जोकि संभावित खतरों से बचाने के लिए ऑपरेटर को अलर्ट करती है और अपने आप ट्रेन जरूरत होने पर रुक जाती है। खराब मौसम में भी यह कवच सुरक्षा ट्रेनों के सुगम संचालन में काफी मददगार होती है।

कवच ने भारतीय रेलवे में ट्रेनों के संचालन में बड़ा बदलाव लाने का काम किया है। इसकी वजह से 2023-24 में हादसों की संख्या घटकर 40 पहुंच गई जोकि 2000-01 में 473 थी।

भारतीय रेलवे में सुरक्षा की प्राथमिकता दर्शाती है कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भारतीय रेल कितना गंभीर है। सुरक्षित रेल यात्रा के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 1 लाख करोड़ रुपए का फंड को 2017 में लॉन्च किया गया।

इसी तरह वर्ष 2023 में सरकार ने इस फंड को अगले पांच वर्षों के लिए 45000 करोड़ रुपए और बढ़ा दिया, जोकि दर्शाता है कि भारतीय रेलवे को और सुरक्षित करने के लिए सरकार गंभीर है।

कवच की यात्रा की शुरुआत की बात करें तो इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी, जब भारतीय रेलवे को 2020 में रेलवे सुरक्षा के लिए एसआईएल 4 का सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ था। कोरोना काल में आई बाधा के बाद भी भारतीय रेलवे कवच को लागू करने का कार्य जारी रखा, जिससे सुरक्षित रेल यात्रा को सुनिश्चित किया जा सके।

अब भारतीय रेलवे ने अगले पांच वर्षों में 44000 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर कवच को लागू करने का फैसला लिया है। इससे ना सिर्फ भारतीय रेलवे और सुरक्षित होगी बल्कि ट्रेनों का संचालन भी आसान होगा।

मौजूदा समय में 301 लोकोमोटिव में से 273 रेलवे स्टेशन पर इस सिस्टम को लागू किया जा चुका है, बाकी में भी इसे लागू करने का काम चल रहा है।

कवच को 100 फीसदी रेलवे सिस्टम में लागू करने के लिए सभी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण आवश्यक है, इसके साथ ही ऑप्टिकल फाइबर कम्युनिकेशन का होना अनिवार्य है।

 

ऑप्टिकल फाइबर की बात करें तो 4000 किलोमीटर में इसे विस्तारित किया जा चुका है, इसके लिए 356 कम्युनिकेशन टावर लगाए गए हैं जो इसे बेहतर बनाने का काम करता है।

कवच सिस्टम सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं है बल्कि भारतीय रेलवे को आधुनिक करने के मकसद को भी दर्शाता है। इसके जरिए करोड़ों यात्रियों को सुरक्षित यात्रा मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है।

पिछले 9 वर्षों में भारतीय रेलवे ने रेलवे सुरक्षा के लिए 178012 करोड़ रुपए के फंड का आवंटन किया गया, जिसमें बड़ा हिस्सा कवच को लागू करने में इस्तेमाल किया जा रहा है, लिहाजा भविष्य में भारतीय रेल सुरक्षित यात्रा मुहैया कराने वाली दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क बनकर सामने आएगा।

Check Also

देवता-राक्षस नहीं, राजा और ऋषि के युद्ध में हुआ था ब्रह्मास्त्र का पहला प्रयोग,मची थी ऐसी तबाही

पौराणिक कथाओं के अनुसार हमारे देवी देवताओं के पास एक से बढ़कर एक कई दिव्यास्त्र …