लखनऊ की NIA कोर्ट ने ISIS से जुड़े दो आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है। 4 सितंबर 2023 को ATS/NIA की विशेष अदालत ने कानपुर में रिटायर्ड शिक्षक रमेश बाबू की हत्या के मामले में आतंकी आतिफ और फैसल को दोषी करार दिया था। गुरुवार को दोनों की वर्चुअली पेशी हुई।
न्यायाधीश दिनेश चंद्र मिश्रा की कोर्ट ने दोनों पर 15-15 लाख का जुर्माना भी लगाया है। सरकारी वकील बृजेश कुमार यादव ने बताया कि तीन अलग-अलग धाराओं 302 में फांसी, 120बी में फांसी, 16 UAPA में फांसी और चौथे 18 UAPA में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
मीडिया से बातचीत करते हुए NIA के विशेष वकील कौशल किशोर शर्मा ने कहा, “मैंने मृत्यु दंड देने की मांग करते हुए कोर्ट में कहा कि इन दोनों ने एक निर्दोष अध्यापक की केवल उनके हाथ में बंधे कलावा और माथे पर तिलक देखकर हत्या की थी। जहां अच्छा इंसान बनने की शिक्षा दी जाती है, वहां जिहाद पर चर्चा का माहौल बनाया। इनका अपराध रेयर व रेयरेसट की श्रेणी मे आता है। इसके आधार पर कोर्ट ने मृत्युदंड दिया।”
स्कूल से लौटते समय टीचर को मारी थी दो गोली
24 अक्टूबर 2016 को टीचर रमेश छुट्टी के बाद घर लौट रहे थे। वह स्कूल से करीब 500 मीटर दूर ही पहुंचे थे कि दो लड़कों ने पिस्टल निकाली और रमेश के सीने में एक के बाद एक दो गोलियां दाग दीं। रमेश जमीन पर गिरे और तड़पने लगे। कुछ देर बाद उनकी सांस थम गई।
गोली की तेज आवाज सुनकर वहां मौजूद लोग रमेश की तरफ भागे। तब तक हमलावर वहां से फरार हो गए। उधर, खून से लथपथ रमेश को किसी तरह पास के कांशीराम हॉस्पिटल पहुंचाया गया। जहां इलाज से पहले ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सरेआम एक रिटायर्ड टीचर की मौत के बाद 7 महीने तक पुलिस हत्यारों को खोजती रही। कुछ पता नहीं चला। हत्या के 200 दिन बाद NIA यानी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि रमेश बाबू को मारने वाले कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि ISIS के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल हैं।
टीचर हत्या के तार एमपी में हुए ट्रेन ब्लास्ट के आरोपियों से जुड़े थे
कानपुर में टीचर की हत्या की वारदात के पांच महीने बाद मध्यप्रदेश में एक बड़ी आतंकी घटना हुई। किसी ने नहीं सोचा था कि कानपुर में हुई हत्या की घटना का कनेक्शन दुर्दांत आतंकियों से जुड़ा हुआ है। दरअसल, 7 मार्च, 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास बम धमाके हुए थे। जिसमें दो दर्जन के करीब लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। जांच के दौरान उजागर हुआ कि ये आतंकी हमला है।
लखनऊ में आतंकी सैफुल्लाह का हुआ एनकाउंटर
इसके बाद एनआईए और केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय हुईं। इसी बीच 7 मार्च को ही एटीएस ने खुफिया इनपुट के बाद आतंकी सैफुल्लाह को लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में मार गिराया। कानपुर के जाजमऊ के रहने वाले इस आतंकी के ठिकाने से मिले हथियारों और दस्तावेजों से ISIS के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हो गया। इसके बाद एटीएस ने मोहम्मद फैजल, गौस मोहम्मद खान, अजहर, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, सैयद मीर, हुसैन, आसिफ इकबाल उर्फ राकी व मोहम्मद आतिफ को गिरफ्तार करके तफ्तीश शुरू की।
असलहों की टेस्टिंग करने और काफिरों को दहशतजदा करने के लिए हत्या की गई
पूछताछ के दौरान आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल खान ने चौंकाने वाली जानकारी दी। जिससे कानपुर में रिटायर्ड टीचर रमेश बाबू शुक्ला की हत्या की वारदात पर पड़ा से पर्दा उठ गया। आतंकियों ने बताया कि वे लोग गैर मुस्लिमों को दहशतजदा करके ISIS के प्रभाव को बढ़ाना चाहते थे। इसके लिए उन्हें असलहे मुहैया कराए गए थे। जिनकी टेस्टिंग करने के फिराक में थे।
24 अक्टूबर, 2016 को आतिफ और फैसल को साइकिल से जाते हुए रामबाबू शुक्ला दिखाई दिए। उनके माथे पर तिलक और कलाई पर कलावा देखकर उनकी हिंदू पहचान की शिनाख्त की गई। फिर दोनों ने उनसे नाम पूछा। रामबाबू शुक्ला नाम बताते ही उन पर गोली दाग दी। दोनों फरार हो गए। कत्ल की वारदात का वीडियो बनाकर इन आतंकियों ने सीरिया में अपने आकाओं को भी भेजा था।
जांच में आतंकियों की पिस्टल से गोली चलने का सुबूत मिला
इस खुलासे के बाद गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा बढ़ाने के बाद सितंबर 2017 को आतंकी एंगल से जांच शुरू की गई थी। इसके दो माह बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जांच एनआईए को सौंपी । एनआईए ने हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्टल को लखनऊ में आतंकियों हाइड हाउस से बरामद कर लिया। प्रिसिंपल रामबाबू शुक्ला को लगी गोली और पिस्टल की जांच एफएसएल चंडीगढ़ से कराई गई। जिसमें इसी पिस्टल से गोली चलने की बात साबित हो गई।