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Google Maps पर अंधा भरोसा कितना सही? क्या करें कि बरेली जैसा हादसा आपके साथ न हो…

नई दिल्ली । क्या गूगल मैप्स टेक्नोलॉजी पर अंधाधुंध भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। बीते दिनों हुई कुछ गंभीर दुर्घटनाओं की वजह से ये सवाल उठना लाजिमी है। हाल ही में बरेली में हुई एक दर्दनाक घटना ने गूगल मैप्स की विश्वसनीयता और उसके संभावित खतरों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

तीन दोस्त गूगल मैप्स की मदद से यात्रा कर रहे थे, लेकिन उनकी कार एक अधूरे पुल पर चढ़ गई, जो आगे से खत्म था, और कार पुल से गिर गई, जिससे तीनों की मौत हो गई। इससे पहले केरल में भी इसी तरह की एक घटना हुई थी, जहां गूगल मैप्स के मार्गदर्शन पर चलते हुए दो डॉक्टरों की कार नदी में गिर गई और वे डूब गए। गूगल मैप्स एक अत्याधुनिक प्रणाली है, जो जीपीएस, सैटेलाइट इमेजरी, रीयल-टाइम ट्रैफिक डेटा और यूजर अपडेट्स के आधार पर रास्तों की जानकारी प्रदान करता है।

इसका एल्गोरिदम यह तय करता है कि सबसे छोटा और आसान रास्ता कौन सा है। लेकिन इसका एक बड़ा खतरा यह है कि गूगल मैप्स का डेटा हमेशा पूरी तरह से अपडेटेड नहीं होता। कई बार जिन रास्तों पर काम चल रहा हो या जो अधूरे हों, वे भी नेविगेशन में शामिल हो जाते हैं। गूगल मैप्स क्राउडसोर्स्ड डेटा पर भी निर्भर करता है, जिसका मतलब है कि यूजर्स द्वारा दिए गए इनपुट पर यह प्रणाली काम करती है। अगर किसी सड़क या पुल के बारे में सही जानकारी नहीं दी जाती, तो गूगल का एल्गोरिद्म उसे सुरक्षित मान सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई पुल अधूरा है या बंद हो, और इसे सिस्टम में अपडेट नहीं किया गया है, तो गूगल मैप्स इसे चालू और सुरक्षित मान सकता है। इस प्रकार, गूगल मैप्स कभी-कभी गलत मार्गदर्शन कर सकता है, जिससे सड़क दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि जबकि गूगल मैप्स जैसी तकनीकी सेवाएं जीवन को आसान बना सकती हैं, लेकिन इन पर पूरी तरह से निर्भर रहना खतरनाक हो सकता है, खासकर जब डेटा अद्यतन नहीं होता या गलत जानकारी मौजूद होती है। यह जरूरी है कि ऐसे समय में उपयोगकर्ता अपनी सतर्कता बनाए रखें और केवल तकनीकी उपकरणों पर भरोसा न करें। टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी आसान बनाई है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल करना हमारी जिम्मेदारी है। गूगल मैप्स का इस्तेमाल करते हुए सतर्क रहना और अपने चारों ओर की स्थिति पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

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