कानपुर । क्रिसमस से पूर्व उत्तर प्रदेश के मौसम का मिजाज हल्की बूंदाबांदी से बदल गया। दिन का तापमान अचानक गिर गया और ठिठुरन बढ़ गई। हालांकि रात के तापमान सामान्य से अधिक हो गये। मौसम विभाग का कहना है कि साल के अंत तक बूंदाबांदी से लेकर हल्की बारिश होने की संभावना बनी हुई है। इससे सर्दी में इजाफा होगा और नये साल से पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते शीतलहर भी लोगों को परेशान करना शुरू कर देगी।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने मंगलवार को बताया कि पहाड़ों पर हुयी ताजा बर्फबारी और मैदानी इलाकों में कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बारिश ने मौसम की रंगत बदल दी है। देर रात से हुयी बारिश के चलते मौसम में ठिठुरन भी बढ गयी है। उत्तर पश्चिमी हवाओं की निरंतरता ने कानपुर मंडल सहित गंगा के मैदानी भागों में ठण्ड ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। शहर में सुबह से बादल छाए रहे। दोपहर बाद सूर्य देव ने हल्के से बादलों की ओट से झांकने की कोशिश की लेकिन बादलों ने उनके अरमानों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती हवाओं के प्रभाव से मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। कुछ जगह हल्की बौछारें पड़ सकती हैं और यह क्रम साल के अंत तक बना रहेगा। इसके बाद पहाड़ों पर एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। बर्फबारी होने व पछुआ हवाओं के चलने से उत्तर प्रदेश में इसका असर नये साल में शीतलहर के रूप में देखने को मिलेगा। इस शीतलहर में अभी जो रात के तापमान सामान्य से अधिक चल रहे हैं, वह भी काफी नीचे चले जाएंगे और सिहरन भरी सर्दी लोगों को परेशान करेगी।
उन्होंने बताया कि कानपुर में अधिकतम तापमान 18.8 और न्यूनतम तापमान 13.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह की सापेक्षिक आर्द्रता 86 और दोपहर की सापेक्षिक आर्द्रता 69 प्रतिशत रही। हवाओं की दिशाएं उत्तर पश्चिम रहीं जिनकी औसत गति 4.8 किमी प्रति घंटा रही। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार कानपुर में आगामी पांच दिनों में प्रातःकाल के समय हल्का कोहरा (हल्की धुन्ध) दिखाई देने एवं 28 दिसम्बर तक मध्यम से घने बादल छाए रहने व तेज हवाओं/गरज-चमक के साथ स्थानीय स्तर पर हल्की वर्षा होने के आसार हैं।
फसलों के लिए लाभकारी महावट बारिश
यह असमय बारिश फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है क्योंकि इससे मिट्टी में नमी का स्तर काफी बढ़ेगा। यह विशेष रूप से रबी की फसलों के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करेगा, जिससे खेती पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।