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महाराष्ट्र में पावर शेयरिंग फॉर्मूला हुआ तय?

मुंबई:  महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के 10 दिन बाद भी नई सरकार के गठन का इंतजार है. एकनाथ शिंदे के ‘त्याग’ के बाद देवेंद्र फडणवीस CM पद की रेस में सबसे ऊपर बताए जा रहे हैं. लेकिन, BJP ने अभी तक नए मुख्यमंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया है. फिर भी मुंबई के आजाद मैदान में 5 दिसंबर को होने वाले मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तैयारियां भी जोरशोर से चल रही हैं. इस बीच नई सरकार के गठन को लेकर फॉर्मूला भी सामने आ गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में 6-1 फॉर्मूले पर पावर शेयरिंग होगा. सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली BJP सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री पद भी रखेगी. शिंदे और अजित पवार गुट ने भी फायदे का सौदा किया है. आइए समझते हैं महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए महा-डील कैसी होगी? किस गुट को कितने मंत्री पद मिलेंगे:-

सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में पावर शेयरिंग के लिए  6-1 का फॉर्मूला तय हुआ है. इसका मतलब ये है कि 6 विधायक पर एक मंत्रिपद मिलेगा. इस फॉर्मूले के तहत BJP अपने पास 20 से 22 मंत्री पद रखेगी. एकनाथ शिंदे गुट के पास 12 मंत्रालय होंगे. जबकि अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं.

गृह मंत्रालय नहीं देगी BJP
शिंदे सरकार में डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस के पास ही गृह मंत्रालय था. वो इस मंत्रालय को छोड़ना नहीं चाहते हैं.  शिंदे गुट का तर्क है कि अगर डिप्टी CM का पद हमें मिल रहा है, तो गृह मंत्रालय भी उन्हें ही मिलना चाहिए. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक BJP गृह मंत्रालय कभी अपने हाथ से जाने नहीं देगी.

अजित पवार का नया पंगा 
इस बीच अजित पवार की NCP ने नई सरकार में शिंदे गुट के बराबर हिस्सेदारी की मांग कर दी है. NCP नेता छगन भुजबल ने कहा भी है कि हमारा स्ट्राइक रेट बेहतर है. इसलिए मंत्रिपद भी उसी हिसाब से मिलने चाहिए.

इससे पहले अजित पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री BJP का होगा, यह तय हो गया है. लेकिन शिवसेना और NCP से एक-एक डिप्टी CM बनाया जाएगा.

किन-किन मंत्रालय पर सस्पेंस?
गृह मंत्रालय किसके पास जाएगा, इस पर सस्पेंस है. BJP इसे अपने पास रखना चाहेगी. महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर के पद को लेकर भी खींचतान चल रही है. शिंदे गुट इसे अपनी पार्टी के पास रखना चाहते हैं. शिंदे और अजित पवार के बीच मंत्रालयों के लेकर भी आपस में ठनी हुई है. दोनों गुट PWD, अर्बन और फाइनेंस डिपार्टमेंट के लिए दावेदारी कर रहे हैं.

मंगलवार को क्या-क्या हुआ?
-मंगलवार सुबह एकनाथ शिंदे अस्पताल गए. ऐसे में उनकी तबीयत को लेकर अटकलें लगने लगीं. एक दिन बाद शपथ कैसे होगी, इसकी चर्चा गर्म हो गई.
– एक घंटे बाद शिंदे चेकअप करवाकर लौट आए. इसके बाद सियासी हलचल तेज हो गई
-इसके बाद देवेंद्र फणडवीस और एकनाथ शिंदे की वर्चुअल मीटिंग हुई. दोनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े.
-फिर तीनों पार्टियों के बड़े नेता आजाद मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों का जायजा लेने गए.

बुधवार को क्या होगा?
-बुधवार सुबह 10 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी.
-ऑब्जर्वरों की निगरानी में विधायक दल का नेता चुना जाएगा.
-देवेंद्र फडणवीस का विधायक दल के नेता चुना जाना तय ही है.
-इसके बाद शिंदे और पवार को साथ लेकर राज्यपाल से मिल सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा.

5 दिसंबर को कितने मंत्री लेंगे शपथ?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री के साथ 2-2 मंत्री शपथ लेंगे. पहले BJP के 15, एकनाथ शिंदे और NCP अजित पवार गुट से 5-5 मंत्रियों के शपथ लेने का प्लान था. सूत्रों का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री के साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह में PM नरेंद्र मोदी के साथ, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री और BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम सीनियर नेता मौजूद रह सकते हैं. इसके साथ ही शपथ ग्रहण समारोह के लिए BJP शासित राज्यों को मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया है.

कैसे रहा महाराष्ट्र का चुनाव?
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव हुए. 23 नवंबर को रिजल्ट आया. BJP+ यानी महायुति को 230 सीटों पर जीत हासिल हुई. अकेले BJP ने 132 सीटें जीतीं. शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ने 57 और NCP (अजित पवार) ने 41 सीटें मिलीं. जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने सिर्फ 46 सीटें जीती हैं. कांग्रेस के हाथ में 16 सीटें आईं. 10 सीटें शरद पवार गुट को मिलीं. उद्धव ठाकरे गुट के हिस्से में 20 सीटें आई हैं.

88% रहा BJP का स्ट्राइक रेट 
इस चुनाव में BJP का स्ट्राइक रेट 88% रहा. वोट शेयर में भी इजाफा हुआ है. पार्टी का वोट शेयर 26.77% हो गया है. 2019 के चुनाव में उसका वोट शेयर 26.10% था. इस चुनाव में BJP को 27 सीटों का फायदा हुआ है. वहीं, कांग्रेस, उद्धव गुट और शरद गुट को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा है.

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