मुरादाबाद,(ईएमएस)। यूपी के मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट 11 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे तो वहीं इनके बीच एक हिन्दू उम्मीदवार बीजेपी के रामवीर ठाकुर थे जो इस सीट पर विजयी रहे। 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटरों वाली इस सीट पर सभी मुस्लिम उम्मीदवारों को पछाड़कर एक हिन्दू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी को 11 फीसदी वोट मिले बाकि अन्य तो इससे भी नीचे हैं। बीजेपे के रामवीर को 170371 वोट मिले। वहीं सपा उम्मीदवार हाजी मोहम्मद रिजवान 25580 वोट मिले हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां से अनुभवी और कद्दावर नेता हाजी मोहम्मद रिजवान को उम्मीदवार बनाया था।
हाजी मोहम्मद रिजवान कुंदरकी से 2002 में चुनाव जीते थे। इसके बाद 2007 का चुनाव हार गए थे। हाजी रिजवान ने 2012 और 2017 के चुनावों में लगातार जीत हासिल की थी। 2022 के चुनाव में कुंदरकी विधानसभा सीट से सपा ने पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर रहमान बर्क को मैदान में उतारा था। उस चुनाव में जियाउर ने 43,162 वोटों से जीते थे। जियाउर रहमान को कुल 1,25,792 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के कमल प्रजापति को 82,630 वोट। उस चुनाव में बसपा के मोहम्मद रिजवान को 42,742 वोट मिले थे।
कुंदरकी में अपनी जीत पक्की मान रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए 2024 का उपचुनाव एक झटका है। जानकारों का कहना है कि कुंदरकी के प्रतिकूल समीकरणों के बीच बीजेपी को मुस्लिम वोटों के बंटवारे का बड़ा फायदा मिला है। उधर, ठाकुर रामवीर सिंह ने भी मुस्लिम मतदाताओं के बीच सेंध लगाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा और पार्टी से जुड़े मुस्लिम नेताओं ने भी अपने कई कोशिशें कीं और नजीता सबके सामने है।
60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटरों वाली इस सीट पर सभी मुस्लिम उम्मीदवारों को पछाड़कर एक हिन्दू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। जानकारों का कहना है कि इस बार रामवीर सिह, बीजेपी और सीएम योगी आदित्यनाथ की रणनीति ने कुंदरकी में हिन्दू और मुसमान का ध्रुवीकरण नहीं होने दिया। बल्कि मुस्लिम वोटरों के एक धड़े ने रामवीर पर भरोसा जताया। रामवीर उनके बीच टोपी पहनकर चुनाव प्रचार करते नज़र आए। नतीजों साफ है कि बीजेपी ने मुस्लिमों की तुर्क और राजपूत बिरादरी को साधने में भी काफी सफलता हासिल की है।
बताते हैं कि कुंदरकी में करीब 40 हजार तुर्क और 45 हजार मुस्लिम राजपूत मतदाता हैं। कुंदरकी के चुनाव में पड़े कुल 2 लाख 21 हजार 999 वोटों में से अकेले रामवीर को 1 लाख 70 हजार 371 वोट मिले हैं। पोस्टल बैलेट के 98 वोटों में से भी रामवीर को 68 वोट मिले। वहीं दूसरे स्थान पर सपा के हाजी मोहम्मद रिजवान को सिर्फ 25 हजार 580 मिले। तीसरे स्थान पर रहे चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार चांद बाबू को 14194 वोट और चौथे स्थान पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार मोहम्मद वारिस को 8111 वोट मिले हैं। वहीं बसपा के रफ्तुल्लाह को 1099 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।
उपचुनाव का परिणाम यह साबित करता है कि जाति और धर्म के समीकरण अब तेजी से टूट रहे हैं। आने वाले लोकसभा चुनावों में ये नतीजे बीजेपी की रणनीति को और मजबूत कर सकते हैं। बीजेपी की यह सफलता न केवल उनके विस्तार का संकेत है, बल्कि यह दिखाती है कि राजनीति एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां विकास और जनकल्याण प्रमुख मुद्दे बन रहे हैं।