अमेठी (हि.स.)। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं अमेठी से तत्कालीन सांसद रहे राजीव गांधी द्वारा मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र में ब्लाॅक बाजार शुकुल से शिवली मार्ग पर पड़ने वाले अरही नाले के पुल का निर्माण शुरू करवाया था। 39 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक इस पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। नाले पर चार दशक पहले बनाए गए तीन पिलर सिस्टम की लापरवाही को उजागर कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस पुल के निर्माण न होने से अमेठी जिले के दर्जनों गांव के लोगों को 3 किलोमीटर पड़ोसी जनपद बाराबंकी से होकर अपने ब्लॉक शुकुलबाजार पहुंचना पड़ता है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस अमेठी के नाम का डंका पूरे देश में बजता है। यह उसी अमेठी के विकास की कहानी को बयां कर रहा है। यह वही अमेठी है जो कांग्रेस की गढ़ कही जाती है। गांधी नेहरू परिवार के खानदान के लोग यहीं से चुनकर संसद तक जाते हैं प्रधानमंत्री भी बने हैं। लेकिन उसके बावजूद आज तक इस पुल का निर्माण पूरा न होना कहीं ना कहीं कांग्रेस पार्टी की नाकामी को उजागर करता है। क्योंकि देश में ज्यादा समय तक कांग्रेस पार्टी की ही सरकार रही है और अमेठी की बात करें तो जब से निर्माण कार्य पुल का शुरू हुआ था तब से लेकर आज तक सिर्फ दो बार गैर कांग्रेसी सांसद हुए हैं। शेष हमेशा यहां से कांग्रेस ने ही प्रतिनिधित्व किया है।
स्थानीय तेज नारायण अवस्थी बताते हैं कि इस पुल का निर्माण 1985 में शुरू हुआ था। कार्यदाई संस्था का चयन कर धन का आवंटन भी कर दिया गया था। इसके बाद कार्य शुरू हुआ। 1991 में राजीव गांधी की असामयिक मृत्यु हो जाने के बाद पुल का निर्माण कर रहा ठेकेदार काम छोड़कर चला गया। तब से लेकर आज तक वह लौटकर नहीं आया। लक्ष्मीकांत तिवारी बताते हैं कि स्कूल का निर्माण न होने से मनकापुर, माझगांव, पूरे भवानी, शिवली, लाला का पुरवा पनही पहाड़पुर, पांडे का पुरवा आदि गांव के लोगों को ब्लॉक थाना और बाजार आदि जाने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं जयकरण तिवारी ने बताया कि अरही नाले पर पुल बनाने के लिए तीन पिलर खड़े कर दिए गए यह 80 मी लंबा है। कई गांव में आने-जाने के लिए कच्चे रास्ते का भी निर्माण कराया गया था। लेकिन अभी तक छत ना पड़ पाने के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।
यह पुल अमेठी जनपद के जगदीशपुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पड़ता है। जहां पर 1985 से लेकर अब तक छह बार से अधिक कांग्रेस पार्टी के ही विधायक रहे हैं। लेकिन चाहे विधायक हो अथवा सांसद या फिर प्रदेश सरकार हो अथवा देश की सरकार सभी ने इन ग्रामीणों की समस्याओं से अपनी आंखें बंद कर ली है। किसी को ग्रामीणों की समस्याएं नहीं दिखाई पड़ रही है। ग्रामीण भी मांग करते-करते थक गए और अब वह भी चुप बैठे गए हैं।