लखनऊ (हि.स.)। प्रदेश में बिजली दर संशोधन के लिए अब राज्य विद्युत नियामक आयोग ने पांच अगस्त को राज्य सलाहकार समिति बैठक बुलाई है। इस बीच उपभोक्ता परिषद तर्क संगत ढंग से बिजली दर में 40 प्रतिशत तक बिजली बिल कम करने पर अड़ा हुआ है। इसके लिए वह लगातार दबाव बना रहा है। नियामक आयोग की बैठक पहले 24 जुलाई को रखी गयी थी, लेकिन वह बैठक नहीं हो पायी थी। अब पूरी उम्मीद है कि पांच अगस्त को बिजली दर पर निर्णय हो जाएगा। उपभोक्ता परिषद पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद है।
उसका कहना है कि उत्तर प्रदेश में कोई कानून नहीं जो बिजली दरों में बढ़ाेतरी की देता है। उपभोक्ताओं का अभी विद्युत कंपनियों पर 35122 करोड़ का बकाया है। इसके एवज में एक मुस्त 40 प्रतिशत बिजली दरों में कमी की जाए, तब हिसाब बराबर होगा। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि राज्य सलाहकार समिति की बैठक में उत्तर प्रदेश में ग्रामीणों को कम बिजली देकर आधा दर्जन उत्पादन इकाई कई दिनों तक बंद रखी गई थी। उसका भी मुद्दा उठेगा और ग्रामीणों को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति फुल कास्ट टैरिफ के आधार पर देने के लिए उपभोक्ता परिषद दबाव बनाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत अधिनियम 2003 के तहत गठित ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की बैठक 5 अगस्त को बुलाई है, जिसमें सभी राज्य सलाहकार समिति के सदस्य भाग लेंगे और जिसमें बिजली दर के मामले पर अंतिम चर्चा होगी। इसके बाद विद्युत नियामक आयोग कभी भी बिजली दर का एलान करेगी।
उपभोक्ता परिषद का कहना है कि किसी भी हालत में उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ाेतरी नहीं होने दी जाएगी। देश का कोई भी कानून उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ाेतरी की इजाजत नहीं देता, क्योंकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ सर प्लस निकल रहा है और इसी के चलते पिछले 4 वर्षों से उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में कोई भी बढ़ाेतरी नहीं हो पाई है। आगे भी या तो एक मुस्त 40 प्रतिशत बिजली दरों में कमी की जाए, अन्यथा आगे भी बिजली दरों में बढ़ाेतरी नहीं हो पाएगी।