लखनऊ (हि.स.)। डुमरियागंज लोकसभा सीट सिद्धार्थनगर जिले में आती है। भगवान बुद्ध के क्रीड़ास्थल और कपिलवस्तु में ननिहाल होने के कारण सिद्धार्थनगर जिला काफी अहमियत रखता है। इस जिले का नाम भी गौतम बुद्ध के बचपन के नाम ‘सिद्धार्थ’ के नाम पर रखा गया है। इस क्षेत्र का ‘काला नमक’ चावल पूरी दुनिया में मशहूर है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 60 डुमरियागंज में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।
डुमरियागंज संसदीय सीट का इतिहास
इस सीट के सियासी इतिहास की बात करें, तो साल 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस ने यहां पर जीत दर्ज की थी। केशव देव मालवीय इस सीट पर सांसद बने थे। साल 1957 में डुमरियागंज को बस्ती-गोंडा लोकसभा क्षेत्र से अलग किया गया। इस साल हुए आम चुनाव में कांग्रेस के रामशंकर लाल ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 1962 में जनसंघ के नारायण स्वरूप शर्मा ने कांग्रेस का विजयरथ रोक दिया और क्षेत्र से सांसद बने। अगले चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और केशव देव मालवीय एक बार फिर संसद पहुंचे। साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से माधव प्रसाद त्रिपाठी ने इस सीट पर बाजी मारी थी। 1980 और 84 का चुनाव कांग्रेस और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी यहां से जीते। 1991 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा का खाता खुला। रामपाल सिंह यहां से भाजपा के पहले सासंद बने थे। साल 1996 में सपा और 1998 व 1999 के चुनावमें भाजपा ने विजय पताका फहराई। 2004 में बसपा और 2009 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई। 2014 और 2019 का चुनाव भाजपा की टिकट पर जगदम्बिका पाल ने जीता है। वो इस सीट एक बार कांग्रेस और बार भाजपा से लगातार चुनाव जीत कर हैट्रिक बना चुके हैं।