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हमीरपुर लोकसभा-47 की सीट पर अब मचा चुनावी घमासान, भाजपा और साइकिल में सीधी फाइट होने के बने आसार

–संसदीय क्षेत्र में जातीय समीकरण भी अब ले रहे करवट

हमीरपुर  (हि.स.)। लोकसभा-47 सीट पर अब चुनावी घमासान के बीच साइकिल और भाजपा में सीधी फाइट होना तय हो गया है। चुनाव मैदान में ये दोनों ही एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। लेकिन इंडी गठबंधन के अखिलेश यादव और राहुल गांधी की यहां संसदीय क्षेत्र में चुनावी जनसभा न होने से साइकिल के चुनावी समीकरणों का खेल भी बिगड़ गया है। लोधी बिरादरी को अपने पाले में करने के लिए सपा प्रत्याशी ने स्वामी ब्रह्मानंद की समाधि स्थल पर लेट कर परिक्रमा की। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। इसके बावजूद चुनाव मैदान में साइकिल रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है।

बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट पर अबकी बार भाजपा प्रत्याशी पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल कमल खिलाने के लिए एड़ी चोटी की जोर लगाए हैं। ये लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में है। वहीं यहां की सीट पर कब्जा करने के लिए सपा प्रत्याशी अजेन्द्र सिंह राजपूत और बसपा प्रत्याशी निर्दाेष दीक्षित भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। पांच विधानसभा क्षेत्र वाली यहां की सीट पर तीनों ही दलों ने अपनी साख लगाई है। इसीलिए एक दूसरे के गढ़ में जातीय वोटों पर सेंधमारी कर रहे हैं। वैसे देेखा जाए तो इस बार के आम चुनाव में पिछले चुनाव जैसी कोई रंगत नहीं है। और तो और कोई लहर भी नहीं है। फिर भी चुनावी दंगल में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने में प्रत्याशी जुटे हैं। अबकी बार चुनाव में हर दल इन्हीं मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने से पीछे नहीं रहते। बता दे कि हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट के लिए मतदान पांचवें चरण में बीस मई को होने हैं और कल शाम से चुनावी शोरगुल भी थम जाएगा।

–लोधी और मुस्लिम मतदाताओं की बेरुखी ने प्रत्याशियों की बढ़ाई बेचैनी

लोकसभा की इस सीट के राठ और चरखारी विधानसभा क्षेत्र लोधी बाहुल्य मानी जाती है। यहां सर्वाधिक लोधी मतदाता हैं। पूरे संसदीय क्षेत्र में ही डेढ़ लाख से अधिक लोधी मतदाता हैं। जो किसी भी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में धूल चटा सकते हैं। लोधी मतों के अलावा सवा लाख के करीब मुस्लिम मतदाता हैं जो भाजपा को हराने वाले प्रत्याशी के पक्ष में साइलेंट होकर जाते हैं। जबकि मुस्लिम मतों के एकजुट होने से सवर्ण मतदाता भी खुलकर निर्णायक वोट करता है। हालांकि मुस्लिम व लोधी मतदाताओं में अभी खामोशी छायी हुई है जिससे दलीय प्रत्याशियों में बेचैनी देखी जा रही है।

–ब्राह्मण समाज अभी असमंजस में, समाज के मठाधीश भी नहीं कर पा रहे फैसला

संसदीय क्षेत्र में दशकों बाद पहली बार ब्राह्मण समाज से निर्दाेष दीक्षित चुनाव मैदान में पसीना बहा रहे हैं। ये बसपा के टिकट से पहली मर्तबा चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन उनके जातीय समीकरण ही गड़बड़ा गए हैं। संसदीय सीट के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में दस फीसदी के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं जो चुनावी दंगल में धुरंधर प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। लेकिन अबकी बार ब्राह्मण मतदाता असमंजस में है। इस समाज के मठाधीश भी कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं। जिससे बसपा का हाथी चुनाव मैदान में अभी से हांफने लगा है। स्थानीय प्रत्याशी न होने से ब्राह्मण उनसे दूरी बनाए है।

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