लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की सियासत में लखीमपुर खीरी जिले की अपनी खासियत रही है। जिले के तहत दो संसदीय सीट आती हैं खीरी और धौरहरा। धौरहरा लोकसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। इस सीट केे तहत दो जिलों लखीमपुर खीरी और सीतापुर के क्षेत्र शामिल हैं। धौरहरा लोकसभा सीट राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 29 धौरहरा में चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग होगी।
धौरहरा लोकसभा सीट का इतिहास
2009 के आम चुनाव में पहली बार धौरहरा के वोटरों को अपना सांसद चुनन का अवसर मिला। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जितिन प्रसाद न जीत का परचम फहराया। 2014 के संसदीय चुनाव में देशभर में मोदी लहर के बीच धौरहरा सीट पर भी रेखा वर्मा ने कमल खिलाया। 2019 के चुनाव में दोबारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की। धौरहरा लोकसभा सीट अब तक हुए तीन चुनाव में से दो बार भाजपा को तो एक बार कांग्रेस को जीत मिली है। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का इस सीट पर अब तक खाता नहीं खुला। 2024 के चुनाव में भाजपा जीत की हैट्रिक तैयारी में है।
पिछले दो चुनावों का हाल
2019 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा ने दूसरी बार यहां जीत दर्ज की। रेख वर्मा को 512,905 (48.21%) वोट मिले जबकि बसपा के उम्मीदवार अरशद इलियास सिद्दीकी को 352,294 (33.11%) वोट मिले। कांग्रेस के उम्मीदवार कुंवर जितिन प्रसाद ने अच्छा संघर्ष किया लेकिन उनके खाते में 162,856 (15.31%) वोट आए। रेखा वर्मा ने 1 लाख 60 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया।
2014 के चुनाव की बात की जाए तो भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा ने बसपा के दाउद अहमद को 1 लाख 25 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से परास्त किया। रेखा वर्मा को 360,357 (33.99%) और दाउद अहमद को 234,682 (22.13%) वोट हासिल हुए। सपा प्रत्याशी आनंद भदौरिया तीसरे और कांंग्रेस के कुंवर जितिन प्रसाद चौथे स्थान पर रहे।
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने तीसरी बार रेखा वर्मा पर विश्वास जताया है। सपा ने आनंद भदौरिया औ बसपा ने श्याम किशोर अवस्थी को मैदान में उतारा है। अवस्थी हाल ही में भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हुए हैं।
धौरहरा सीट का जातीय समीकरण
धौरहरा संसदीय सीट पर कुल 16 लाख 85 हजार 651 लाख मतदाता वोट करेंगे। धौरहरा सीट की पांचों विधानसभा सीटों में कुल 904,588 लाख पुरुष मतदाताओं की संख्या है, जबकि 780,978 लाख महिला और थर्ड जेंडर के 85 मतदाता हैं। इस सीट के जातीय समीकरण को देखें तो यहां ब्राह्मण 3.25 लाख, मुस्लिम 2.50 लाख, कुर्मी 1.60 लाख, पासी, जाटव व एससी 3.10 लाख, यादव, कुशवाहा, मौर्य 2.75 लाख, क्षत्रिय मतदाता 1.30 लाख, वैश्य 95 हजार और अन्य मतदाता 168,900 हैं।
विधानसभा सीटों का हाल
धौरहरा संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें धौरहरा, कास्ता (अ0जा0)और मोहम्मदी सीट लखीमपुर खीरी जिले में पड़ती है तो महोली और हरगांव (अ0जा0) सीट सीतापुर जिले में पड़ती है। इन सभी सीटों पर भाजपा काबिज है।
जीत का गणित और चुनौतियां
भाजपा लगातार दो चुनाव जीतने के बावजूद जातीय गणित साधने में लगी है। वहीं डबल इंजन की सरकार के कार्य भी वो गिना रही है। ब्राह्मण बहुल धौरहरा सीट पर भाजपा का माना जाने वाला ब्राह्मण वोट मोदी लहर में 2014 और 2019 के चुनावों में रेखा वर्मा को मिला। बसपा अब ब्राह्मणों को साधने में जुटी है, ताकि रेखा वर्मा का विजयरथ रोका जा सके। बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर विपक्ष के सामने चुनौती पेश की है। पिछले दो संसदीय चुनावों से बसपा दूसरे पायदान पर रही है।
कांग्रेस और सपा के गठबंधन के इस सीट पर सपा ने अपना प्रत्याशी उतारा है, जिससे स्थानीय कांग्रेसी नेता नाराज हैं। खास बात यह है कि पिछले दो चुनाव में हार का सामना करने वाले कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं और अब प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। देखना होगा कि जितिन प्रसाद के अब भाजपा में शामिल हो जाने के बाद कमजोर हुआ विपक्ष यहां पर किस तरह से भाजपा के सामने चुनौती पेश करता है।
स्थानीय समाजसेवी प्रदीप सिंह रघुनायक के अनुसार, धौरहरा में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। वर्तमान सांसद ने विकास कार्य करवाए हैं। लेकिन इस बार चुनाव में यहां किसी एक पार्टी की कोई लहर नजर नहीं आ रही है।
धौरहरा से कौन कब बना सांसद
2009 कुंवर जितिन प्रसाद (कांग्रेस)
2014 रेखा वर्मा (भाजपा)
2019 रेखा वर्मा (भाजपा)