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काम की बात : चने की नई किस्म से होगी बंपर पैदावार, कटाई के समय होने वाली बर्बादी रुकेगी

कानपुर। चने के झाड़ पर चढ़ने वाली कहावत सुनी होगी। यह झाड़ अब नाटा नहीं रहेगा। वैज्ञानिकों ने चने के झाड़ की लंबाई को बढ़ा दिया है। नई किस्म को नाम दिया गया है कुंदन। इस किस्म से किसान मालामाल होंगे, क्योंकि फसल कटाई के समय नाटे पौधे के कारण बर्बादी अब नहीं होगी।

चने की खेती करने वाले किसान प्रत्येक वर्ष फसल पकने के बाद परेशान रहते हैं। कारण होता है – कटाई के समय फसल का 25 फीसदी हिस्सा जमीन में गिरकर खराब हो जाता है। दरअसल, मौजूदा नस्ल के पौधे में चने की फलियां जमीन से लगभग 15 सेंटीमीटर ऊपर होती है। ऐसे में फसल की कटाई के समय फलियां भी कट जाती हैं। किसानों की समस्या को देखकर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने चने के लंबे पौधे की प्रजाति तैयार करने की ठानी। तय किया गया था कि पौधा इतना लंबा होना चाहिए कि फली जब तैयार होगी तो वह नीचे की सतह से लगभग 20 सेंटीमीटर ऊपर रहे। वैज्ञानिकों का मानना है कि बंपर पैदावार के साथ किसान जब फसलों की कटाई करेंगे, तो उनकी फली कहीं से भी बर्बाद नहीं होगी।

बरसों की मेहनत से बनीं नई प्रजाति कुंदन

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर गिरीश प्रसाद दीक्षित कहते हैं कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने कई साल तक शोध कार्य करने के बाद चने की एक नई प्रजाति को तैयार किया है। नई नस्ल को नाम दिया गया है – कुंदन। उन्होंने बताया कि कुंदन की खासियत यह है, कि जब उसकी फसल उगेंगी, तो सात से 20 सेंटीमीटर ऊपर उनकी फली मिलेगी. ऐसे में पूरी फसल आसानी से कट जाएगी और किसानों को किसी तरह से नुकसान भी नहीं होगा।

अगले साल से किसान के पास होगा कुंदन

आईपीआर के निदेशक डॉ. दीक्षित ने बताया, कि अगले साल से किसानों के पास कुंदन के बीज पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया, कि चने की फसल की खेती मुख्य रूप से सूबे के अलावा पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में होती है। ऐसे में जहां-जहां से किसानों को बीज की मांग आएगी तो वह संस्थान की ओर से बहुत जल्द ही वहां आपूर्ति की जाएगी। डॉ. दीक्षित ने यह भी कहा कि किसान अब चने की फसल की कटाई भी मशीन से कर सकेंगे। ऐसे में उन्हें किसी तरीके की समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।

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