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कोविड का जख्म : दिल हुआ कमजोर, निशाने पर नौजवान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

-एक साल में एक लाख से भी ज्यादा मरीज बढ़े

– 20 से 40 साल वाले मरीजों की संख्या ज्यादा

कानपुर। तीन साल बाद भी कोविड का जख्म परेशान कर रहा है। कोरोना वायरस ने तंत्रिका तंत्र के साथ-साथ हृदय को भी कमजोर किया है। चौंकाने वाला तथ्य यह कि बुजुर्गों के बजाय नई पीढ़ी का दिल ज्यादा कमजोर हुआ है। कानपुर के लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना पीरियड के मुकाबले बीते वर्ष सत्तर हजार मरीज से ज्यादा इलाज कराने के लिए पहुंचे हैं। इस आंकड़े में निजी अस्पतालों के आंकड़े शामिल नहीं हैं। निजी अस्पतालों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो गिनती एक लाख से ज्यादा पहुंचती है।

 

जिंदगी बचाने को सीपीआर ट्रेनिंग जरूरी

लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के रिकार्ड पर गौर करें तो कोविड के पहले 2019-20 में संस्थान की ओपीडी में 2.80 लाख मरीज पहुंचे थे। कोविड के तीन साल बाद बाद 2023-24 में मरीजों की संख्या बढ़कर 3.47 लाख हो गई है। इसी प्रकार निजी क्षेत्र के रीजेंसी अस्पताल सहित अन्य हृदय रोग अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना को बढ़ोत्तरी हुई है। कुल मिलाकर कोरोना की विदाई के बाद शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर ओपीडी में पिछले आंकड़ों के मुकाबले एक लाख से ज्यादा हृदय रोगी पहुंचे हैं। ऐसे में जिंदगी को बचाने के लिए जन-सामान्य के साथ-साथ विभिन्न निजी और सरकारी विभागों में सीपीआर का प्रशिक्षण बेहद जरूरी है।

 

भर्ती होने वाले मरीज भी बढ़े

सिर्फ दवा के भरोसे ठीक होने वाले मरीजों के साथ-साथ ऑपरेशन और एंजियोग्राफी के मामले भी बेतहाशा बढ़े हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले भी प्री-कोविड के मुकाबले 14% बढ़े हैं। सर्जरी के मामले भी ज्यादा देखने को मिले हैं। वर्ष 2019-20 में कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के 1822 मामले आए थे, जबकि वर्ष 2023-24 में 59% बढ़कर 2899 हो गए। इस अवधि में पेसमेकर लगाने के मामले 60% और एंजियोग्राफी के केस 53% बढ़े हैं।

 

सिगरेट-मोबाइल छोड़िए, दोस्त बढ़ाइए

 

वरिष्ठ डॉक्टर उमेश्वर पाण्डेय बताते हैं कि जीवनशैली के साथ सिगरेट- शराब का चलन, मोबाइल की लत और ऑनलाइन सर्विस का असर सीधा दिल पर पड़ा है। लोग आदत नहीं बदलेंगे तो अभी दिल और कमजोर होगा। उन्होंने कहाकि पहले लोग बाहर जाते थे, मिलते-जुलते थे। एकाकी जीवन के कारण 20-40 की उम्र वाले सबसे ज्यादा चपेट में आ रहे, क्योंकि ज्यादा तनाव से हृदय की धमनियां कमजोर हो जाती हैं। नसें सिकुड़ती हैं तो थक्का जमता है। दिल की बीमारी एक दिन में नहीं होती। युवाओं को सेहत पर ध्यान देना होगा। हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश वर्मा कहते हैं कि कोई शक नहीं कि दिल की बीमारियां बढ़ रही हैं, लेकिन बढ़ती आबादी के अनुपात में विस्फोटक जैसी कोई स्थिति नहीं है।

 

ओपीडी में आए इतने मरीज
साल मरीज

2019-20 2,80,754
2020-21 1,42,860
2021-22 2,45,787
2022-23 3,08,722
2023-24 3,47,505

 

कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के आंकड़े
साल संख्या

2019-20 1822
2020-21 1241
2021-22 2229
2022-23 2689
2023-24 2899

 

पेसमेकर सर्जरी
साल संख्या

2019-20 842
2020-21 605
2021-22 802
2022-23 1130
2023-24 1350

एंजियोग्राफी
साल संख्या

2019-20 5677
2020-21 2943
2021-22 5483
2022-23 8226
2023-24 8671

 

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