–अदालत कानून के विरुद्ध सम्बंधों के खिलाफ
प्रयागराज, (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून के विरूद्ध सम्बंधों को अदालत का समर्थन नहीं मिल सकता। हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है तो दूसरी शादी नहीं कर सकते।
कोर्ट ने कहा कि पहले से शादीशुदा सम्बंधों को अदालत से समर्थन मिला तो समाज में अराजकता फैल जायेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जायेगा। न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने कासगंज की पूजा कुमारी व अन्य की लिव-इन रिलेशनशिप की सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका दो हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए खारिज कर दी है।
याचीगण का कहना था कि एस पी कासगंज से सुरक्षा की मांग की थी किन्तु कोई सुनवाई न होने पर हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई है। विपक्षी द्वितीय याची की पत्नी अनीता कुमारी के अधिवक्ता ने आधार कार्ड पेश कर कहा कि वह उसकी शादी शुदा पत्नी है। यह भी बताया गया कि प्रथम याची पुष्पेंद्र की पत्नी हैं।
किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है। प्रथम याची दो बच्चों की मां है और याची संख्या दो के साथ सम्बंध में रह रही है। कोर्ट ने इसे विधि विरूद्ध माना और सुरक्षा देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।