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देश के सैन्य इतिहास की श्रेणी में कानपुर का अपना एक अलग स्थान : राजनाथ सिंह

कानपुर (हि.स.)। देश के सैन्य इतिहास की श्रेणी में कानपुर अपना एक अलग ही महत्व रखता है। 1857 में जब भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई, तो उस समय पेशवा नानासाहेब ने कानपुर के बिठूर से ही विद्रोह का नेतृत्व किया था। यह बात सशस्त्र बल वेटरन्स दिवस 2024 के कार्यक्रम में रविवार को पहुंचे देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही।

उन्होंने कहा कि यह किसी संयोग से कम नहीं है कि हम अपने पूर्व सैनिकों के सम्मान के लिए कानपुर जैसी जगह पर एकत्र हुए हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जिस आजाद हिंद फौज का गठन किया, उसकी पहली महिला कैप्टन रहीं लक्ष्मी सहगल का भी कानपुर से बड़ा आत्मीय नाता रहा। उन्होंने तो अपने जीवन का आखिरी क्षण भी कानपुर में ही बिताया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र में जब हमारी सरकार आई तो देश के गृह मंत्री के रूप में और विशेषकर रक्षा मंत्री के रूप में तो सशस्त्र बलों के साथ मेरा बड़ा आत्मीय नाता रहा। कई बार तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे पिछले जन्मों के कुछ संचित पुण्य होंगे कि मुझे हमारे सैनिकों के साथ इतना आत्मीय संबंध बनाने का मौका मिला।

आज वेटरेनस डे है,आज भी जब मैं आप सबके बीच उपस्थित हूं तो मुझे ऐसा महसूस होता है कि घर पर हूं। उन्होंने कहा कि इस देश का हर नागरिक,चाहे वह किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो, वह अपने सैनिकों के प्रति एक विशेष स्नेह रखता है।

गौरतलब है कि देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को कानपुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन पहुंचे। जहां उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दिया और उनके बलिदान को याद किया।

उन्होंने मीडिया के द्वारा अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर शंकराचार्यों द्वारा न्यौता ठुकराने पर बोले की राम मंदिर में मुहूर्त के हिसाब से ही प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। आईएनडीआईए गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चल रही उठापटक पर कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है।

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