लखनऊ (हि.स.)। बाढ़ से प्रभावित होने वाले प्रदेश के 22 जिलों को लेकर योगी सरकार ने बड़ा प्लान तैयार किया है। इसके तहत घाघरा, सरयू, राप्ती और शारदा नदियों के बेसिन में बसे 2412 गांवों के लिए 804 इंफ्लेटेबल बोट्स की खरीद का निर्णय लिया है। इसके लिए योगी सरकार 80.40 करोड़ की धनराशि खर्च करेगी। इसके लिए जल्द ही राहत आयुक्त कार्यालय की ओर से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अहम बात यह है कि इन बोट्स का संचालन स्थानीय लोगों द्वारा ही किया जाएगा। इसके एवज में योगी सरकार उन्हें पारश्रमिक भी देगी।
दो चरणों में खरीदी जाएंगी बोट्स
राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि बाढ़ और जल भराव को लेकर सेटेलाइट के जरिये पूरे प्रदेश की गहन मैपिंग कराई गई। इसमें पाया गया कि प्रदेश में घाघरा सरयू, राप्ती और शारदा नदियों के बेसिन में बसे 2412 गांव ज्यादातर बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। इस भूभाग को वर्गीकृत करते हुए उन स्थानों को विशेष रूप से चिन्हित किया गया, जहां बीते 10 से 7 साल में प्रतिवर्ष बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ा। मैपिंग में पाया गया कि 15 सौ किलोमीटर के क्षेत्रफल में बसे इन गांवों को बाढ़ से निपटने के लिए पहले से ही तैयार करना जरूरी है ताकि जनहानि को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके।
इसके लिए करीब तीन गांवों के बीच एक बोट की जरूरत महसूस की गई। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अवगत कराया गया। उन्होंने बाढ़ से प्रभावित 22 जिलों की समस्या को ध्यान में रखते हुए बोट्स की खरीद को हरी झंडी दे दी। राहत इमरजेंसी परियोजना निदेशक अदिति उमराव ने बताया कि बोट्स खरीद की प्रक्रिया को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इसमें पहले चरण में 6 जिलों बलिया, बलरामपुर, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर और भदोही के लिए 400 बोट्स खरीदी जाएंगी। जबकि दूसरे चरण में शेष 16 जिलों के लिए 404 बोट्स खरीदी जाएंगी।
स्थानीय लोगों को दी जाएगी बोट्स चलाने की ट्रेनिंग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बोट्स की खरीद के लिए समिति में एसडीआरएफ के एक अधिकारी को तकनीकी सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा। साथ ही इन बोट्स की खरीद के लिए स्पेसिफिकेशन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कोस्ट गार्ड और एनडीआरएफ से प्राप्त किए जाएंगे। वहीं इन बोट्स के देखभाल की जिम्मेदारी संबंधित लेखपाल को दी जाएगी, जिन्हें टीन का बॉक्स उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें वह रेस्क्यू के बाद सारी सामग्री सुरक्षित रखेंगे। इस बॉक्स को पंचायत भवन व अन्य स्थानीय शासकीय भवन में रखा जाएगा। इसके मेंटीनेंस की जिम्मेदारी एएमसी की होगी। इतना ही नहीं बाढ़ के दौरान तत्काल राहत पहुंचाने के लिए स्थानीय लोगों को बोट्स चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि बाढ़ से निपटने के लिए स्थानीय लोग एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में टीम के इन इलाकों में पहुंचने से पहले काफी नुकसान हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देने का फैसला लिया गया है। स्थानीय लोगों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल व कोस्ट गार्ड द्वारा बोट्स संचालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन आपदा मित्रों को बाढ़ के दौरान बोट्स के संचालन के लिए श्रम विभाग के शासनादेश के अनुसार दैनिक मानदेय दिया जाएगा।