नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने बसपा नेता अफजाल अंसारी की गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के गाजीपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को 30 जून, 2024 तक सुनवाई पूरी कर फैसला देने को कहा।
कोर्ट ने 31 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान अफजाल अंसारी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि 1993 की एफआईआर में ऐसा कुछ नहीं था जो यह दिखाता हो कि अफजाल अंसारी घटना में शामिल थे और रिकॉर्ड पर भी ऐसा कुछ नहीं है जिससे य़ह साबित हो कि अफजाल अंसारी ने गवाहों को धमकाने और सबूतों को प्रभावित करने की कोशिश की हो। इतना ही नहीं, ट्रायल कोर्ट से मामले के निपटारे में देरी की गई और जब कोर्ट का फैसला आया तो संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
सिंघवी ने राहुल गांधी के संसद सदस्यता के निलंबन की बहाली के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि अफजाल अंसारी तीन बार विधायक और दो बार सांसद रहे हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई विकास के काम और सामाजिक कार्य किया है। सिंघवी ने अफजाल अंसारी के दोष सिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग छह महीने बाद कभी भी चुनाव की घोषणा कर सकता है।
अफजाल अंसारी की याचिका का उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध करते हुए कहा था कि दोषसिद्धि पर ऐसे ही रोक नहीं लगाई जा सकती इसके पीछे कोई वजह भी होनी चाहिए। जहां तक सजा का सवाल है उन्हें गैंगस्टर एक्ट जैसे आपराधिक मामले में दोषी करार दिया गया है जिसमें न्यूनतम दो साल और अधिकतम 10 साल की सज़ा का प्रावधान है। यूपी सरकार की ओर से अफजाल अंसारी के द्वारा उनके मामले में राहुल गांधी के मामले का हवाला देने पर कहा गया था कि राहुल गांधी के मामले में अधिकतम सज़ा दो साल ही थी। ऐसे में उस आदेश का हवाला वे नहीं दे सकते हैं।
यूपी सरकार ने कहा था कि कानून के सामने सांसद, विधायक और आम आदमी सब बराबर होते हैं। अगर अफजाल की दोषसिद्धि पर रोक लगाई जाती है तो इसका समाज पर भी असर पड़ेगा। अफजाल अंसारी दोषसिद्धि पर रोक के लिए लोकसभा सीट खाली होने की दलील नहीं दे सकते हैं। अंसारी के खिलाफ अभी कई मामले में लंबित हैं। ऐसे में गैंस्टर मामले में अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।
15 सितंबर को कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। अफजाल अंसारी ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। इस केस में गाजीपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने अफजाल अंसारी को 29 अप्रैल को दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई थी। इसी सजा की वजह से अफजाल अंसारी की लोकसभा की सदस्यता भी निरस्त कर दी गई थी।