प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर अमित कुमार एवं प्रमोद कुमार के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति की वैधता की चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
याचियों सहित नोएडा के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह व अन्य अधिकारियों के खिलाफ सेक्टर 39 मे दर्ज 954 करोड के घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। कई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इसी मामले में याचियों के खिलाफ अभियोग चलाने की सी बी आई को मिली अनुमति को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा याचिका स्वच्छ हृदय से दाखिल होनी चाहिए। तथ्य छिपाकर आने वाला अनुच्छेद 226 के तहत सुनवाई का हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई रिपोर्ट गोपनीय होती है। उसका रिफरेंस देकर राहत नहीं पाई जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिड़ला तथा न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अमित कुमार व प्रमोद कुमार की याचिका पर दिया है।
मालूम हो कि 13 जनवरी 12 को एफआईआर दर्ज कराई गई। आरोप लगाया गया कि पहले किए गए विद्युत काम का भुगतान बाद में टेंडर जारी कर अधिकारियों व ठेकेदारों की मिली भगत से ले लिया गया। जो काम हुआ ही नहीं उसका भी भुगतान कर दिया गया। इसमें यादव सिंह सहित एक दर्जन अधिकारियों को आरोपित किया गया। बाद में विवेचना सीबीसीआईडी को सौंप दी गई। उसने फाइनल रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने भी स्वीकार कर लिया। कुछ समय बाद लखनऊ पीठ ने बड़े घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए एफआईआर दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया। जिसमें अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, षड्यंत्र व घोटाले के आरोप में चार्जशीट दाखिल की और कुछ की विवेचना जारी है। सी बी आई ने भ्रष्टाचार कानून की धारा 19 में अर्जी दी थी। कोर्ट ने कहा अभियोजन चलाने की अनुमति देने में कोई विधिक त्रुटि नहीं है।