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पश्चिमी भारत-पाकिस्तान सीमा पर बनेगी एलसीए तेजस मार्क-1ए की पहली स्क्वाड्रन

– वायु सेना को अगले साल से मिलने लगेंगे एलसीए ‘तेजस’ एमके-1ए फाइटर जेट

– एचएएल वायु सेना के लिए अगले आठ वर्षों में करेगा 180 विमानों का उत्पादन

नई दिल्ली  (हि.स.)। भारतीय वायुसेना भारत-पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर राजस्थान के बीकानेर में नाल हवाई अड्डे पर स्वदेशी एलसीए तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान की पहली स्क्वाड्रन बनाने के लिए तैयार है। भारतीय वायु सेना को 4.5 पीढ़ी का पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके-1ए फाइटर जेट अगले साल फरवरी-मार्च तक मिल जाएगा। इसी सौदे का पहला ट्रेनर विमान वायु सेना को सौंपा जा चुका है। एचएएल के साथ अतिरिक्त 97 तेजस एमके-1ए के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद कुल 180 विमानों का उत्पादन किया जाना है।

रक्षा मंत्रालय ने 83 एलसीए तेजस एमके-1ए फाइटर जेट के लिए 03 फरवरी, 2021 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ डील फाइनल की थी। इसी सौदे का पहला विमान वायु सेना को अगले साल फरवरी-मार्च में एचएएल से मिलेगा। भारतीय वायुसेना भारत-पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर राजस्थान के बीकानेर में नाल हवाई अड्डे पर स्वदेशी एलसीए तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान का पहला स्क्वाड्रन बनाने के लिए तैयार है। श्रीनगर स्थित स्वॉर्ड आर्म्स स्क्वाड्रन को भी तेजस एमके-1ए के लिए निर्धारित किया गया है। अभी तक यह स्क्वाड्रन मिग विमानों का ठिकाना है, जिन्हें तेजस की आपूर्ति शुरू होने के बाद सेवा से विदाई दी जानी है।

केंद्र सरकार ने लम्बे इंतजार के बाद 30 नवंबर को वायु सेना के लिए 97 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके-1ए खरीदने को मंजूरी दी है। एचएएल के साथ अतिरिक्त 97 तेजस एमके-1ए के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद कुल 180 विमानों का उत्पादन किया जाना है। एचएएल के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि 180 एलसीए का पूरा ऑर्डर अगले आठ वर्षों में भारतीय वायु सेना को सौंप दिया जाएगा। एचएएल ने प्रति वर्ष लगभग 24 तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान का उत्पादन करने के लिहाज से अपनी क्षमता बढ़ाई है।

भारतीय वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों की मौजूदा 32 स्क्वाड्रन को बढ़ाकर 2035 तक 42 स्क्वाड्रन करने की तैयारी में है। इसी के साथ भारत लड़ाकू विमानों की 15 स्क्वाड्रन को रिटायर करने की भी योजना बना रहा है। अगले 15 वर्षों में भारतीय वायुसेना के पास 40 एलसीए तेजस, 180 एलसीए मार्क-1ए और कम से कम 120 एलसीए मार्क-2 विमान होंगे। वायु सेना को पहले सप्लाई किये जा चुके 40 एलसीए की तुलना में एलसीए मार्क-1ए विमान में अधिक उन्नत एवियोनिक्स और रडार हैं। नए एलसीए मार्क-1ए में स्वदेशी सामग्री 65 प्रतिशत से अधिक होगी।

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