Uttarkashi Tunnel: उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। अगर इस पूरे ऑपरेशन पर नजर डालें तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। मजदूरों को निकालने के लिए कई कोशिशें की गईं। यहां तक कि अमेरिकी मशीनें तक फेल हो गईं। तब इंसानों ने हाथों से ही पहाड़ को खोद दिया और आखिरकार मजदूरों को सुरक्षित बचाया जा सका।
चमत्कार से कम नहीं है उत्तरकाशी टनल की पूरी कहानी
मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने में कितनी मुसीबतें आईं, ये हम सभी जानते हैं। हालांकि, वो कहते हैं ना- अंत भला तो सब भला। इस पूरे ऑपरेशन में चमत्कार की बात ये रही कि आधुनिक मशीनों तक ने दम तोड़ दिया और तब इंसान ने भगवान के रूप में पहाड़ों को खोदकर सभी मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया। आपको बता दें कि रैट-होल माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जहां मशीन नहीं, इंसान का दम दिखता है।
क्या है रैट होल माइनिंग प्रक्रिया?
रैट होल माइनिंग मेघालय में प्रचलित संकीर्ण सीमों से कोयला निकालने की एक प्रक्रिया है, जिसमें ‘रैट-होल’ शब्द जमीन में खोदे गए संकीर्ण गड्ढों की ओर इशारा करता है। ये आमतौर पर इतना बड़ा होता है कि एक व्यक्ति अंदर उतर सके और कोयला निकाल सके। गड्ढा खोदने के बाद माइनर कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करके उतरते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे उपकरणों का उपयोग करके मैन्युअल रूप से निकाला जाता है।
अब ये भी जान लें कि रैट होल माइनिंग की प्रक्रिया दो प्रकार की होती है, जिनमें साइड-कटिंग और बॉक्स कटिंग प्रक्रिया शामिल हैं। साइड-कटिंग प्रक्रिया में पहाड़ी ढलानों पर संकीर्ण सुरंगें खोदी जाती हैं और मजदूर कोयले की परत मिलने तक अंदर जाते हैं। वहीं, बॉक्स-कटिंग में 10 से 100 वर्गमीटर तक की एक आयताकार ओपनिंग की जाती है और उसके माध्यम से 100 से 400 फीट गहरा एक वर्टिकल गड्ढा खोदा जाता है। एक बार कोयले की परत मिल जाने के बाद चूहे के बिल के आकार की सुरंगें हॉरिजॉन्टल रूप से खोदी जाती हैं, जिसके माध्यम से मजदूर कोयला निकाल सकते हैं।