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तापमान के 2 डिग्री सेल्सियस अधिक बढ़ने पर दुनियाभर में होगी सैकड़ों मौतें, पढ़ें ये रिपोर्ट

नई दिल्ली (ईएमएस)। एक विश्लेषण के अनुसार, अगर सदी के अंत तक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस (प्री-इंडस्ट्रियल लेवेल से) बढ़ा, तब सदी के मध्य तक सालाना गर्मी से संबंधित मौतों में 370 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये नए वैश्विक अनुमान स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लांसेट काउंटडाउन की 8वीं वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं। विश्लेषण में बताया गया कि तापमान में हो रही बढ़ोतरी को प्री-इंडस्ट्रियल लेवेल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की कवायद में होने वाली किसी भी तरह की देरी से दुनियाभर में अरबों लोगों की सेहत और अस्तित्व को विनाशकारी खतरा है।

लांसेट काउंटडाउन के कार्यकारी निदेशक मरीना रोमानेलो ने कहा, हमारे स्वास्थ्य आकलन से जाहिर होता है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे दुनियाभर में जीवन और आजीविका पर भारी पड़ रहे हैं। 2 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म दुनिया के अनुमान एक खतरनाक भविष्य को दर्शाते हैं और एक गंभीर रिमाइंडर है कि अब तक इससे निपटने के लिए किए गए प्रयासों की गति और पैमाने लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अब भी प्रति सेकेंड 1,337 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होने के बावजूद हम इतनी तेजी से उत्सर्जन में कमी नहीं कर पा रहे हैं कि जलवायु संबंधी खतरों को उस स्तर के भीतर रख सकें जिससे हमारी स्वास्थ्य प्रणालियां निपट सकें।

विश्लेषण में कहा गया है कि वर्तमान 10-वर्षीय वैश्विक औसत 1.14 डिग्री सेल्सियस ताप पर भी लोगों ने 2018-2022 में औसतन 86 दिनों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक उच्च तापमान का अनुभव किया, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक की संभावना मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के कारण दोगुने से अधिक थी। 1991-2000 की तुलना में 2013-2022 में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गर्मी से संबंधित मौतों में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो तापमान में बदलाव न होने पर अपेक्षित 38 प्रतिशत वृद्धि से काफी अधिक है। विश्लेषण में दावा किया गया है कि 1981 और 2010 के बीच सालाना की तुलना में 2021 में 122 देशों में 127 मिलियन से अधिक लोगों को मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने के लिए लगातार तेज गर्मी (हीट वेव) और सूखा जिम्मेदार था।

उदाहरण के लिए, गर्म समुद्रों ने विब्रियो बैक्टीरिया के प्रसार के लिए उपयुक्त विश्व के समुद्र तट के क्षेत्र को 1982 के बाद से हर साल 329 किमी तक बढ़ा दिया है, जो मनुष्यों में बीमारी और मौत का कारण बन सकता है, जिससे रिकॉर्ड 1.4 बिलियन लोगों को डायरिया, गंभीर घाव संक्रमण और सेप्सिस का खतरा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि खतरा विशेष रूप से यूरोप में अधिक है, जहां विब्रियो-उपयुक्त तट में हर साल 142 किमी की वृद्धि हुई है। कहा गया है कि 2022 में चरम मौसम की घटनाओं के परिणामस्वरूप होने वाले आर्थिक नुकसान का कुल मूल्य 264 बिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था, जो 2010-2014 की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है। गर्मी के संपर्क में आने से 2022 में वैश्विक स्तर पर 490 अरब संभावित श्रम घंटों का नुकसान हुआ (1991-2000 से लगभग 42 प्रतिशत की वृद्धि), जो निम्न (6.1प्रतिशत) और मध्यम आय (3.8प्रतिशत) वाले देशों में आय हानि और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बहुत अधिक अनुपात के लिए जिम्मेदार है।

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