लखनऊ (हि.स.)। मौसम विभाग के अनुसार इस सप्ताह कई जगहों पर हल्की बारिश के साथ ही कभी-कभी बादल छाये रहने की संभावना है। इसको देखते हुए कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों को सलाह दी है कि रबी की फसलों गेहूं, जौ, चना, मटर मसूर, सरसों अलसी, आलू आदि की बुआई के लिए उपयुक्त मौसम है
इस संबंध में उद्यान उपनिदेशक अनीस श्रीवास्तव का कहना है कि आलू की बुआई से पूर्व बीज का उपचार कर देना चाहिए। इससे आलू की पैदावार अच्छी होने में मदद मिलेगी। वहीं कृषि विशेषज्ञ डा. मुनीष का कहना है कि धान की फसल की कटाई करें और कटाई के बाद 3-4 दिन तक धूप में सुखाकर मड़ाई करके बीज को धूप में सुखाकर बीज का भण्डारण करें। मौसम के अनुसार सिंचित अवस्था में गेहूं की बुआई के लिए तापमान अनुकूल है। इसलिए गेहूं की बुआई 10 नवंबर से शुरू कर देनी चाहिए। गेहूं के बीज का चयन करते समय प्रजातियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बुआई से पूर्व बीज उपचारित करने से रोग ग्रस्त नहीं होते।
उद्यान अधिकारी डा. शैलेश दूबे का कहना है कि मूंगफली की फसल की खुदाई तभी करनी चाहिए, जब छिलके के ऊपर की नसें उभर आएं और अंदर का भाग भूरे रंग का हो जाए तथा मूंगफली गुलाबी हो जाए। मूंगफली की कटाई के बाद फलियों को धूप में अच्छी तरह सुखाकर भंडारण कर लें। तोरिया की फसल में बालों वाली इल्ली का प्रकोप होने की संभावना रहती है। तोरिया की फसल की बुआई के 20-22वें दिन पौधे से पौधे की दूरी 10-22 सेंटीमीटर के अंदर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। तोरिया की फसल में पहली सिंचाई बुआई के 25-30 दिन के अन्दर करनी चाहिए तथा जई आने पर 108 किग्रा/हेक्टेयर की दर से यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें।
डा. मुनीष ने बताया कि सरसों की फसल में आरा मक्खी – ये कीट अंकुरण के सात से 10 दिन में अधिक हानि पहुंचाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए मिथाइल पैराथियान दो प्रतिशत या मैलाथियान पांच प्रतिशत या कार्बारिल 5 प्रतिशत का चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह या शाम को दें। राई-सरसों की किसी भी प्रजाति की बुआई के लिए अनुशंसित प्रजातियाँ- बरुना, रोहिणी, नरेन्द्र राय- 8501, माया, वैभव आदि की बुआई 4-5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से मौसम साफ होने पर करें।