दोस्तों आप लोग मंदिर तो कई बार गये होंगे… और जाते ही मंदिर की पहली सीढ़ी को झुक कर प्रणाम भी किया होगा… पर आपने कभी सोचा है मंदिर में भगवान को नमस्कार करने से पहले उसकी सीढ़ियों को क्यों प्रणाम किया जाता है… आखिर ऐसा क्या होता है मंदिर की पहली सीढ़ी में…
दरअसल, ऐसा करने के तीन कारण बतायें गयें है… जिसमें से पहले कारण के अनुसार मंदिर की पहली सीढ़ी को प्रणाम करने का मतलब होता है प्रभु के लिए सम्मान प्रकट करना… हम जब भी किसी के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं तो उन्हें या तो झुककर नमस्कार करते हैं या फिर पैर छूते हैं… यही वजह है कि मंदिर की पहली सीढ़ी को छूकर हम भगवान के लिए आदर- सम्मान की भावना जाहिर करते हैं।
दूसरे कारण के मुताबिक ऐसा कर के हम अपने अंदर के अहंकार का नाश करते हैं… मान्यता है कि अगर आप अंहकार के साथ किसी मंदिर में प्रवेश करते हैं… कोई पूजा- पाठ अनुष्ठान में हिस्सा लेते है… या फिर अपने मन में किसी के लिए जलन द्वेष की भावना रखते हैं… तो आपको कभी उसका फल नही प्राप्त होता… इसलिए मंदिर और पवित्र स्थलों की पहली सीढि को झुक कर नमस्कार करने की सलाह दी जाती है.. क्यों कि ऐसा करने से व्यक्ति के घंमड का विनाश हो जाता है… और उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
और तीसरी वजह है आत्म समर्पण… धर्म शास्त्र की माने तो मंदिर की सीढ़ी को झुककर प्रणाम करना आपके आत्म समर्पण की ओर ईशारा करता है… जिसका अर्थ है कि आपने पूरी तरह से खुद को भगवान के चरणों में सौंप दिया है.. अब आपकी आत्मा और शरीर दोनो प्रभु को समर्पित है… और तब आपका मन सिर्फ और सिर्फ ईश्वर की भक्ति में लगा रहता है।
तो दोस्तों अब आप लोग समझ गयें होंगे कि मंदिर की सीढ़ीयों को झुककर प्रणाम करना क्यों जरुरी होता है… चलिये अब ये भी जान लीजिए की घर के मंदिर में आपको कौन से भगवान की मूर्तियां नही रखनी चाहिए..
शास्त्रों के अनुसार घर के मंदिर घर में कभी भी राहु-केतु, शनिदेव या फिर माता काली की मूर्ति नही रखनी चाहिए… क्यों कि ये सभी देवी- देवता उग्रता के लिए जाने जाते हैं…. इसलिए इनकी पूजा एक खास विधि- विधान से ही की जाती है.. जो कि बहुत कठिन होता है.. इसलिए गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगो को ये सलाह दी जाती है कि वो ऐसे भगवानों की तस्वीर या मूर्ति अपने घर के मंदिर में न रखें।
इसके अलावा मान्यता है कि घर के मंदिर में कभी भी प्रभु के साथ अपने मृत परिजन यानी की अपने पितरों की फोटो नही रखनी चाहिए.. और न ही उनकी पूजा करनी चाहिए… ऐसा करने से आपको इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं.. क्यों कि पितरों की पूजा सिर्फ पितृ पक्ष में ही की जाती है।
इसके साथ ही अगर आपने अपने घर के मंदिर में शिवलिंग रखा हुआ है.. तो इस बात का जरुर ध्यान दें, की वो बहुत ज्यादा बड़ा न हो… और आप उसमें रोज जल अर्पित करते हों… घर में बहुत बड़े शिवलिंग को रखना अच्छा नहीं माना जाता है।
वही एक मान्यता ये भी है कि घर के मंदिर में किसी भी भगवान की एक से ज्यादा मूर्ति नही रखनी चाहिए… ऐसा करने से घर की शांति भंग हो जाती है… और आपके काम बनते- बनते बिगड़ जाते हैं… साथ ही आपके जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है… और तनाव आप पर हावी होने लगता है।
हमारे शास्त्रों में मूर्ति को लेकर एक और नियम भी बताया गया है… जिसके अनुसार अगर आप अपने घर में सुख- शांति बनाए रखना चाहते हैं… तो अपने घर के मंदिर से भगवान की वो फोटो तुंरत हटा लें जो उनके रौद्र रुप की हो.. फिर वो चाहे हनुमान जी की सीना चीरते हुए तस्वीर हो या फिर शिव जी के नटराज स्वरुप की।
दरअसल, घर में भगवना की हमेशा ऐसी मूर्ति रखनी चाहिए.. जिसमें वो शांत, स्थिर और खुश हो.. तभी आपके घर के लोगो में भी स्थिरता आयेगी…. माना जाता है घर में भगवान के रौद्र रुप कि तस्वीरें होने से घर में कलेश का वातावरण बना रहता है…. और तो और इससे घर में नकारात्मकता भी फैलती है…माना की आपने प्रभु की वो फोटो पूरी श्रद्धा से लगायी होगी… पर आपको बता दें इसका असर उल्टा ही पड़ता… बेहतर होगा आप ईश्वर की ऐसी तस्वीर लगायें जिसमें वो अपना आशीर्वाद देते हुए दिख रहे हों.. क्यों कि इस तरह की मूर्तियों से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं।