Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) आज 17 किमी की ऊंचाई पर क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल लॉन्च करेगी। इन पेलोड के भारत के पूर्वी तट पर श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है। बाद में उन्हें नौसेना द्वारा बंगाल की खाड़ी से पुनः प्राप्त किया जाएगा।
गगनयान मिशन को 10 पॉइंट्स में समझिए
#1. इसरो अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। गगनयान के तहत कुल तीन उड़ानें भरी जानी है।
#2. पहली दो उड़ान में कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं जाएगा। तीसरी उड़ान में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाना है।
#3. 21 अक्टूबर को TV-D1 टेस्ट फ्लाइट के बाद गगनयान कार्यक्रम के तहत तीन और परीक्षण D2, D3 और D4 की प्लानिंग की है।
#4. क्रू मॉड्यूल, जिसमें तीनों अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे, 3.7 मीटर व्यास और सात मीटर ऊंचाई का बना होगा।
#5. इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर के अनुसार, यह मिशन इसरो को प्लॉन्चिंग और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में उच्च स्तर की विश्वसनीयता हासिल करने में सक्षम करेगा। इससे 15,000 लोगों को रोजगार देने में मदद मिलेगी और उनमें से 861 इसरो से होंगे।
#6. मानव अंतरिक्ष उड़ान को कक्षा तक पहुंचने में 16 मिनट लगेंगे जहां वह पांच से सात दिनों तक रहेगा।
#7. अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निचली पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
#8. एक ऑक्सीजन सिलेंडर रखने की क्षमता के साथ स्पेस सूट अंतरिक्ष यात्री को 60 मिनट तक अंतरिक्ष में सांस लेने की अनुमति देगा।
#9. यह कैप्सूल हर 90 मिनट में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाएगा और अंतरिक्ष यात्री सूर्योदय और सूर्यास्त देख सकेंगे। तीनों अंतरिक्ष यात्री सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण पर प्रयोग करते हुए हर 24 घंटे में अंतरिक्ष से भारत को देख सकेंगे।
#10. वापसी में कैप्सूल को 36 घंटे लगेंगे और यह गुजरात के तट से कुछ दूर अरब सागर में उतरेगा।