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Israel-Hamas War: अब अरब देशों को किस बात का डर सता रहा? तीन पॉइंट में समझे पूरी खबर

Israel-Hamas War: इजरायल-हमास युद्ध में हर कोई केवल अपना फायदा ढूंढने की कोशिश कर रहा है। इसमें सबसे पहला नाम अरब देशों का आता है। उन्हें हमास के आतंकी मासूम बच्चे नजर आते हैं, जिनपर इजरायली सेना जुर्म ढा रही है। उन्हें हमास की क्रूरता नहीं दिखाई देती। उन्हें इजरायल के भोले-भाले बच्चों के साथ हमास आतंकियों की दरिंदगी नहीं दिखाई देती।

वो दुनिया को केवल ये दिखाने में व्यस्त हैं कि इजरायली सरकार हमास के कायरों के साथ-साथ गाजा के मासूम नागरिकों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है, लेकिन जब उन्हीं नागरिकों को अपने देश में शरण देने की बात आती है, तब उन्हें उनपर दया नहीं आती। वो अपने क्षेत्र की शांति खराब करने का हवाला देते हुए उन्हीं गाजा के शरणार्थियों को अपने देश में एंट्री देने से इनकार करते हैं।

गाजा के शरणार्थियों को अपने देश में एंट्री क्यों नहीं देना चाहते अरब देश?
एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र और जॉर्डन जो गाजा और वेस्ट बैंक के साथ बॉर्डर शेयर करते हैं, दोनों ने दृढ़ता से शरणार्थियों को एंट्री देने से इनकार किया है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने बुधवार, 18 अक्टूबर को अपनी अब तक की सबसे सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा युद्ध का उद्देश्य सिर्फ गाजा पट्टी पर शासन करने वाले हमास से लड़ना नहीं है, बल्कि यह वहां के निवासियों को मिस्र की ओर पलायन करने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास भी है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे क्षेत्र में शांति भंग हो सकती है। वहीं, जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने एक दिन पहले इसी तरह का मैसेज देते हुए कहा था कि जॉर्डन में कोई शरणार्थी नहीं, मिस्र में कोई शरणार्थी नहीं।

अरब देशों को किस बात का डर सता रहा?
#1. उनका इनकार इस डर पर आधारित है कि इजरायल फिलिस्तीनियों को उनके देशों में स्थायी रूप से ट्रांसफर करना चाहता है। अल-सिसी ने यह भी कहा कि बड़े पैमाने पर पलायन से आतंकियों को भी मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में लाने का जोखिम होगा, जहां से वे इजरायल पर हमले शुरू कर सकते हैं, जिससे दोनों देशों की 40 साल पुरानी शांति संधि खतरे में पड़ सकती है।

#2. अल-सिसी ने कहा कि अगर इजरायल तर्क देता है कि उसने आतंकियों को पर्याप्त रूप से कुचला नहीं है तो लड़ाई वर्षों तक चल सकती है। ऐसे में जो शरणार्थी उनके देश में पहुंचेंगे, वो कब तक वहां रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि इजरायल फिलिस्तीनियों को अपने नेगेव रेगिस्तान में तब तक रखे, जब तक वह अपने सैन्य अभियान समाप्त नहीं कर देता।

#3. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मिस्र आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पहले से ही वो करीब 9 मिलियन शरणार्थियों और प्रवासियों की मेजबानी करता है, जिनमें लगभग 300,000 सूडानी भी शामिल हैं, जो इस वर्ष अपने देश के युद्ध से भागकर आए थे। लेकिन, अरब देशों और कई फिलिस्तीनियों को यह भी संदेह है कि इजरायल इस अवसर का उपयोग गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में राज्य के दर्जे की फिलिस्तीनी मांगों को खत्म करने के लिए कर सकता है।

 

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