तीनों पर घोषित था 25,000-25,000 हजार का इनाम
सॉफ्टवेयर के माध्यम से पासवर्ड हैक कर दूसरे खातों में डाली थी करोड़ों की रकम
एसटीएफ को मिली सफलता
लखनऊ। स्पेशल टास्क फोर्स(एसटीएफ) ने कोऑपरेटिव बैंक के पासवर्ड को सोफटयर के माध्यम से हैक कर करीब 146 करोड़ की रकम को फर्जी खातो रिमोट एक्सिस के माध्यम से रकम डालकर ठगी को अजाम देने वाले गिरोह के तीन लोगों को दबोचने में सफलता हासिल की । बताते चले की 16.10.2022 को अजय कुमार त्रिपाठी, सहायक महाप्रबंधक, एन0ए0डी0, उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लखनऊ ने साइबर सेल में मामला दर्ज कराते हुए बताया था। सहकारी बैंकों के सात खातों से करीब आठ बार लेन-देन के जरिए विकास पाण्डेय, सहायक कैशियर और मेवालाल प्रबन्धक की सीबीएस आईडी से गलत तरीके से आईसीआईसीआई और एचडीएफसी के खातों में करीब 146 करोड़ रूपए आर0टी0जी0एस0 के जरिए डाले गए हैं। जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने 31-10-2022 को पालीटेक्निक चौराहा लखनऊ से साइबर अपराधियों के गिरोह के दो सरगना समेत पाच लोगों को दबोचा था। वहीं तीन आरोपी फरार चल रहे थे जिनके ऊपर इनाम घोषित कर उनकी तलाश जारी थी। बुधवार को पुलिस अधीक्षक एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह की देखरेख में टीम ने वकार आलम खान स्थानः कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन,अरमाना अतहर मोहल्ला मेवातियान जनपद गोंडा,वहीदुर्रहमान उर्फ वाहिद को विभूतिखण्ड निकट मधुरिमा होटल लखनऊ से दबोच लिया।
पूछताछ में ठग अरमाना अतहर ने कबूला की कि मैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट के बाद लखनऊ में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। वहां मेरी मुलाकात वकार और वाहिद से हुई एनजीओ में रुपये डालने व जमीन की ब्रोकरी के काम करते थे। इन्ही लोगों के जरिए मेरी मुलाकात रवी वर्मा, ज्ञानदेव पाल, ध्रुव कुमार सुनील कुमार, अमरेन्द्र सिंह से हुई। यह लोग बैंक के डेड अकाउंट को हैक कर रुपये ट्रांसफर करने का प्लान बना रहे थे। जिसके लिए अमरेन्द्र सिंह, रवी वर्मा, ज्ञानदेव पाल, व ध्रुव से वाहिद ने एक मीटिंग कराई । तब मैंने बताया कि मेरे पास सतीश के माध्यम से गंगासागर सिंह की कंपनी के बडे बैंक खाते है। यदि हम लोग उन खातों में रुपये ट्रांसफर कर लेंगे तो मेरी गारंटी होगी कि 60-40 की दर से रुपये कैश में मिले जो आपस में बांट लेंगें। उसके बाद अमरेन्द्र सिंह ने मुंबई हैकर को बुलाया गया। उन हैकरों द्वारा कई अलग अलग डिवाइस तैयार की गई थी। डिवाइसों को ज्ञानदेव पाल बैंक के सिस्टम में लगाते रहे। आठ बार प्रयास किया गया पर सफलता नहीं मिली। तीनों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही हैं।