प्रयागराज, (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के बासू यादव केस के फैसले के हवाले से कहा है कि आपराधिक केस दर्ज होने या अपील लम्बित होने मात्र से पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण करने से इंकार नहीं किया जा सकता।
इसी के साथ कोर्ट ने रीजनल पासपोर्ट अधिकारी लखनऊ को याची को पासपोर्ट जारी करने पर विचार कर छह हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने आकाश कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
याचिका पर बहस करते हुए भारत सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट में याची के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है। याची को कारण बताओ नोटिस दी गई है किन्तु अभी तक सफाई नहीं दी गई है। जिसका इंतजार है।
याची अधिवक्ता का कहना था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 155(1) के तहत जब तक मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस को विवेचना का आदेश नहीं दिया जाता, पुलिस एन सी आर केस की विवेचना नहीं कर सकती। वर्ष 2020 में धारा 323, 504 मे एफआईआर दर्ज की गई है। धारा 468 के तहत यदि मजिस्ट्रेट निश्चित अवधि में संज्ञान नहीं लेता तो एन सी आर व्यर्थ हो जायेगी। याची को किसी केस में सजा नहीं मिली है और न ही इस केस के अलावा कोई आपराधिक इतिहास है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने के कारण पासपोर्ट जारी करने से इंकार नहीं किया जा सकता।