भोपाल (ईएमएस)। इस साल नौ शुभ योग में नवरात्रि शुरू हो रही है। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि सितारों की ऐसी स्थिति पिछले 400 सालों में नहीं बनी। इस बार नवरात्रि का हर दिन शुभ रहेगा। इन दिनों में प्रॉपर्टी खरीदने से लेकर नया बिजनेस शुरू करने तक हर मुहूर्त रहेगा। इन दिनों में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं होती, नई शुरुआत और खरीदारी के लिए भी ये दिन बहुत शुभ होते हैं।
15 अक्टूबर से शुरू होने वाली नवरात्रि अखंड रहेगी, यानी अंग्रेजी तारीख और तिथियों का ठीक तालमेल होने से एक भी तिथि कम नहीं होगी। इस तरह पूरे नौ दिनों का शक्ति पर्व होना शुभ संयोग है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत रविवार को होने से देवी हाथी पर सवार होकर आएंगीं। इस तरह देवी का आगमन कष्टों से मुक्ति का संकेत दे रहा है। ये सुख-समृद्धि का प्रतीक है। हाथी का संबंध विघ्नहर्ता गणेश और देवी महालक्ष्मी से भी है। इस कारण इन दिनों की गई खरीदारी शुभ होगी और निवेश लंबे समय तक फायदा देने वाला रहेगा।
15 अक्टूबर के ग्रह-नक्षत्र हर्ष, शंख, भद्र, पर्वत, शुभकर्तरी, उभयचरी, सुमुख, गजकेसरी और पद्म नाम के योग बना रहे हैं। वहीं, 23 तारीख तक चलने वाले शक्ति पर्व में पद्म, बुधादित्य, प्रीति और आयुष्मान योग के साथ ही 3 सर्वार्थसिद्धि, 3 रवियोग और 1 त्रिपुष्कर योग रहेगा। वहीं, दशहरा अपने आप में अबूझ मुहूर्त होता है। इस तरह 23 अक्टूबर तक हर तरह की खरीदारी, रियल एस्टेट में निवेश और नए कामों की शुरुआत के लिए 9 दिन बहुत शुभ होंगे।
हर नवरात्रि में बदलती है देवी की सवारी
देवी का वाहन तो शेर ही होता है, लेकिन देवी भागवत और अन्य ग्रंथों के मुताबिक हर नवरात्रि में देवी की सवारी अलग-अलग होती है। देवी की सवारी नवरात्रि के पहले दिन से तय होती है। इस बार रविवार को नवरात्रि शुरू होने पर देवी हाथी पर सवार होकर आएंगीं, जो कि सुख-समृद्धि का संकेत है। वहीं, 23 अक्टूबर, सोमवार नवरात्रि का आखिरी दिन रहेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि और रवियोग बनने से देवी की विदाई भी शुभ रहेगी।
देवी का वाहन तो शेर ही होता है, लेकिन देवी भागवत और अन्य ग्रंथों के मुताबिक हर नवरात्रि में देवी की सवारी अलग-अलग होती है। देवी की सवारी नवरात्रि के पहले दिन से तय होती है। इस बार रविवार को नवरात्रि शुरू होने पर देवी हाथी पर सवार होकर आएंगीं, जो कि सुख-समृद्धि का संकेत है। वहीं, 23 अक्टूबर, सोमवार नवरात्रि का आखिरी दिन रहेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि और रवियोग बनने से देवी की विदाई भी शुभ रहेगी।