-ग्वालियर में गुर्जरों के आंदोलन में शामिल होने आ रहे थे, पुलिस ने मुरैना में रोका
ग्वालियर (हि.स.)। चुनावी आचार संहिता के बीच ग्वालियर में गुरुवार को गुर्जरों ने जेल भरो आंदोलन में शामिल होने आ रहे भीम आर्मी (आजाद पार्टी) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को मुरैना में पुलिस ने रोक दिया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के सरदाना से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान और गुर्जर नेता रविंद्र भाटी भी थे। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर नजरबंद किया गया था, लेकिन रात 8 बजे उन्हें छोड़ दिया गया।
गौरतलब है कि गत 25 सितंबर को ग्वालियर के फूलबाग मैदान में गुर्जर महापंचायत में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों ने सहभागिता की थी, लेकिन आयोजन के बाद पूरे शहर में उपद्रव किया गया। कलेक्ट्रेट में घुसकर तोड़फोड़ करते हुए पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की गाड़ियों पर जमकर पथराव किया गया था। इस मामले में पुलिस ने सात एफआईआर दर्ज कर 23 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपित पर पूर्व में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के कारण रासुका की कार्रवाई की गई थी। इस कार्रवाई के विरोध में गुरुवार को जेल भरो आंदोलन किया किया गया।
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर, सपा विधायक अतुल प्रधान और गुर्जर समाज के नेता रविंद्र भाटी अपने समर्थकों के साथ अपने वाहनों से ग्वालियर में जेल भरे आंदोलन में शामिल के लिए जा रहे थे, लेकिन ग्वालियर एवं मुरैना प्रशासन व पुलिस ने कानून व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ बनाये रखने के लिये इन नेताओं को मध्यप्रदेश की सीमा में मुरैना की अल्लावेली पुलिस चौकी पर रोक लिया। इनसे चर्चा करने के लिये ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना, ग्वालियर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश चंदेल, मुरैना पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र चौहान भी पहुंचे। कानून का उल्लंघन न हो, इसके लिए अल्लावेली चौकी पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने नेताओं से बातचीत की और रात करीब आठ बजे उन्हें छोड़ दिया गया।
इस दौरान आजाद पार्टी प्रमुख चन्द्रशेखर रावण ने पुलिस प्रशासन पर गुर्जरों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। रावण का कहना है कि पीड़ितों व जेल में बंद लोगों से मिलने के लिये जाने पर रोकना प्रशासन का अन्याय व कानून विरुद्ध है। वहीं, पुलिस ने कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा प्रश्चात लागू की गई आदर्श आचार सहिंता के तहत धारा 144 लागू की गई है। इसके तहत किसी भी आंदोलन को बिना अनुमति करना गैर कानूनी है।