Breaking News

सीईओ सुंदर पिचाई की भविष्यवाणी, एआई ‎‎लिखेगा गूगल के अगले 25 वर्षों का सफर

नई दिल्ली (ईएमएस)। आज से पच्चीस साल पहले ‎जिस गूगल की शुरुआत हुई थी, वह इस समय सर्च इंजन का पर्याय बन गया है। बता दें ‎कि गूगल की शुरूआत 1998 में हुई थी, तब याहू, आस्क जीव्स और अल्टाविस्टा जैसे नामों के साथ प्रतिस्पर्धा थी। इधर अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा ‎कि गूगल के लिए अगले 25 साल महत्वपूर्ण हैं।

उनके मुताबिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के साथ कंपनी के पास उन चीजों को और भी बड़े पैमाने पर करने का अवसर है, जो काफी मायने रखती हैं। जैसे-जैसे गूगल आगे की ओर देखता है, भारतीय मूल का टेक 2004 में मूल संस्थापक के पत्र की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित कर रहा है। इसमें ऐसी सेवाएं विकसित करना, जो यथासंभव अधिक से अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बनाए – उन चीजों को करने के लिए, जो मायने रखती हैं। पिचाई के अनुसार, हम अभी यह देखना शुरू कर रहे हैं कि प्रौद्योगिकी की अगली लहर क्या करने में सक्षम है और यह कितनी तेजी से सुधार कर सकती है। आज, दस लाख लोग राइट और क्रिएट के लिए गूगल वर्कस्पेस में जेनरेटिव एआई का उपयोग कर रहे हैं। बाढ़ का पूर्वानुमान अब उन स्थानों को कवर करता है जहां 460 मिलियन (46 करोड़) से अधिक लोग रहते हैं।
सर्च इंजन गूगल की बता करें तो इसका अधिकतर रेवेन्यू एडवरटाइजिंग स्पेस बेचने से आता था, इसके बाद कंपनी के सेल्स में गिरावट आई क्योंकि इसकी ऑडियंस अन्य प्लेटफार्मों पर चली गयी। जब इंटरनेट का इस्तेमाल मुख्य रूप से एकेडेमियों और सरकारों द्वारा किया जाता था, तब मोजेक कम्युनिकेशंस कॉर्पोरेशन ने नेटस्केप नेविगेटर लॉन्च किया, जो 1994 में पहले ग्राफिकल वेब ब्राउजरों में से एक बन गया। हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट ने जल्द ही प्रतिद्वंद्वी इंटरनेट एक्सप्लोरर लॉन्च किया, जिससे ब्राउजर मार्केट पर कंट्रोल पाने के लिए खींचतान शुरू हो गई। मोजेक ने अपने सर्च इंजन को सशक्त बनाने के लिए अमेरिकी वेब पोर्टल एक्साइट के साथ साझेदारी की। नेटस्केप को 1998 में अमेरिका ऑनलाइन (एओएल) द्वारा अधिग्रहित किया गया था।

उस समय माइक्रोसॉफ्ट और याहू ने एक दशक लंबी डील की घोषणा की, जिसने याहू सर्च इंजन को बिंग से बदल दिया। 2023 में, बिंग को ओपनएआई के चैट जीपीटी-4 पर बेस्ड एक नए चैटबॉट फीचर को शामिल करने के लिए नया रूप दिया गया, जिससे मार्च में 100 मिलियन एक्टिव यूजर्स तक पहुंचने में मदद मिली। 1995 में लॉन्च होने के बाद अल्ट्राविस्टा बड़ी मात्रा में वेबसाइट्स को अनुक्रमित करने वाले शुरुआती सर्च इंजनों में से एक था। यह सर्च इंजन लोकप्रिय था क्योंकि इसने अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते हुए लगभग 20 मिलियन वेबपेजों को अनुक्रमित किया था और इसमें फास्ट कंप्यूटर थे जो तेजी से रिजल्ट दे सकते थे।

यह सॉफ़्टवेयर डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन की रिसर्च लैब में कंप्यूटर वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया था। 2001 में, गूगल पर सर्च की संख्या ने अल्ट्रा विस्टा को पीछे छोड़ दिया, जो उस समय तक टॉप वेब डेस्टिनेशन्स में से एक था। एक दशक से भी अधिक समय के बाद, याहू ने 2013 में कई प्रोडक्ट्स के साथ सर्च इंजन को बंद कर दिया। कथित तौर पर वेबक्रॉलर पहला सर्च इंजन था, जो यूजर्स को किसी भी वेबपेज में टेक्स्ट सर्च की अनुमति देता था, यह एक ऐसा मेथड था, जो प्रमुख सर्च इंजनों के लिए आम हो गई। 1996 में यह सर्च इंजन इंटरनेट पर दूसरी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वेबसाइट थी। लेकिन वेबक्रॉलर को दो साल से भी कम समय बाद 1997 में एक्साइट को बेच दिया गया, जो अंततः दिवालिया हो गयी।

Check Also

उप चुनाव खत्म होते ही जीत-हार का लगाने लगे गुणा-गणित, बसपा की निष्क्रियता पर भी लग रहीं अटकलें

लखनऊ । नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल जीत-हार का …