लुधियाना (ईएमएस)। पंजाब पुलिस कर्मचारी मनप्रीत इस वक्त सुर्खियों में है। दरअसल मनप्रीत को परिवार वाले इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में लेकर आए थे। परिजनों के अनुसा मनप्रीत को जहरीले कीड़े द्वारा काट लिया गया था और डॉक्टरों द्वारा मनप्रीत को लगातार 2 से 3 दिन तक वैंटिलेटर पर भी रखा गया। फिर अस्पताल स्टाफ ने उन्हें बताया कि मनप्रीत की मौत हो गई है। मगर जिस वक्त मनप्रीत के शव को एम्बुलेंस में पोस्टमॉर्टम के लिए ले जा रहे थे, तब मनप्रीत के शरीर में हलचल महसूस हुई नब्ज चेक की गई तब वह चल रही थी।
पिता रामजी के मुताबिक डॉक्टर ने कहा कि मनप्रीत की हालत इतनी नाजुक है कि अगर वेंटिलेटर से उतारा गया, तब 3 मिनट बाद ही उसकी मौत हो जाएगी। पिता ने बताया कि रात करीब ढाई बजे उन्हें अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि उनके बेटे की मौत हो गई है और अस्पताल प्रशासन ने उन्हें सुबह 9 बजे शव देने की बात कही। सुबह जब मनप्रीत के शव को एंबुलेंस में पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था, तब मनप्रीत के साथी पुलिस कर्मीयों ने महसूस किया कि मनप्रीत की नब्ज चल रही है। जिसके बाद मनप्रीत को तुरंत डीएमसी अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।
जब एम्स बस्सी अस्पताल के डॉ.साहिल से बात की गई, तब उन्होंने बताया कि मनप्रीत जब उनके पास आया था, तब उसकी किडनी फेल थी। बीपी में भी लगातार गड़बड़ होने के कारण उसकी हालत बहुत खराब थी। मनप्रीत के परिवार ने उन्हें नहीं बताया था कि बेटे को किसी जहरीले कीड़े ने काटा है। उन्होंने सिर्फ यही कहा था कि उनके बेटे की लात और बाजू पर जख्म है। देर रात उन्होंने मनप्रीत के पिता से कह दिया था कि उनका बेटा बचने की हालत में नहीं है। जिसके बाद परिवार ने सुबह मरीज को ले जाने की बात कही। डॉक्टर साहिल के अनुसार उन्होंने या उनके स्टाफ में से किसी ने भी परिवार से मनप्रीत की मौत होने की बात नहीं बोली। अस्पताल से मरीज को जिंदा ही भेजा गया था उनका स्टाफ ही मरीज को ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ डीएमसी में छोड़कर आया है। अगर मनप्रीत की मौत हुई होती,तब डेथ समरी भी जारी की जाती। लिहाजा यह आरोप झूठे और बेबुनियाद है।