नई दिल्ली। देश में आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा-लोकसभा चुनाव के केंद्र में अब सर्वत्र महिलाएं होंगी। भाजपा-कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल नारी तुम्हारी जय हो के नारे लगाते… और यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता का उदघोष करते दिखाई देंगे। क्योंकि, महिला आरक्षण बिल एक बार फिर चर्चा में है। केंद्रीय कैबिनेट ने 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है। यदि ये बिल संसद क विशेष सत्र में पास हुआ तो लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी। इसके साथ आगामी दिनों में होने वाले मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सीटों का गणित और राजनीतिक परिदृश्य पूर्णत: बदला-बदला नजर जाएगा।
-किस राज्य में कितनी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी
यदि संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण पर मुहर लग जाती है, तो 33 प्रतिशत के हिसाब से देश की लोकसभा की 545 सीटों में से तकरीबन 179 सीटों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा। इस लिहाज से मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इसी तरह से छत्तीसगढ़ की 11 में से 4, राजस्थान में 25 में से 8, उप्र में 80 में से 27, दिल्ली में 7 में से 2, ओडिशा में 21 में से 7, पंजाब में 13 में 4, असम में 14 में से 5, बिहार में 40 में से 14, गुजरात में 26 में से 9, हरियाणा में 10 में से 4, हिमाचल में 4 में से 1, झारखंड में 16 में से 5, कर्नाटक में 28 में से 9, केरल में 20 में से 7, तेलंगाना में 17 में से 6, उत्तराखंड में 5 में से 2, पश्चिम बंगाल में 42 में से 14 सीटें और तमिलनाडु में 39 में से 13 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
-लोकसभा-राज्यसभा में महिलाओं की संख्या
लोकसभा में 545 सीटें हैं। इनमें से महज 78 सीटों पर महिला सांसद चुनी गईं हैं। आंकड़ों के लिहाज से यह आंकड़ा 15 प्रतिशत से भी कम है। राज्यसभा में भी यही हालात हैं। राज्यसभा में अभी 14 प्रतिशत ही महिला सांसद हैं। इसी तरह से राज्यों की विधानसभाओं में भी इनका औसत प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है।