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टीचरों को ग्रेच्युटी भुगतान में देरी पर ब्याज न देने पर हाईकोर्ट खफा, याचिकाओं पर 4 तक मांगा जवाब

प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में कार्यरत टीचरों को उनकी मृत्यु के बाद उनके परिजनों को मिलने वाले ग्रेच्युटी भुगतान में विलम्ब करने तथा देरी पर ब्याज न देने पर प्रदेश सरकार के निदेशक बेसिक शिक्षा से सोमवार 4 सितम्बर तक सभी याचिकाओं पर जवाब मांगा है। ये याचिकाएं मथुरा समेत प्रदेश के विभिन्न जनपदों में सेवारत रहे टीचरों के परिजनों की तरफ से दाखिल किया गया है।

उक्त आदेश पारित कर जस्टिस मंजीव शुक्ला ने प्रदेश सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता से कहा है कि याचिकाओं में जवाब लगाने का अंतिम अवसर दिया जा रहा है। कोर्ट इसके बाद समय नहीं देगी। कोर्ट में उपस्थित प्रदेश सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने अनुरोध किया था कि इन याचिकाओं पर जवाब के लिए तैयारी चल रही है, इस कारण एक और मौका जवाब लगाने के लिए दिया जाय। कोर्ट ने यह आदेश मथुरा के बावूलाल समेत कई अन्य की याचिका पर पारित किया है।

प्राथमिक विद्यालय के टीचरों की तरफ से दाखिल याचिकाओं में कहा गया है कि उन्हें सरकार ने विलम्ब से ग्रेच्युटी का भुगतान किया है। इस विलम्ब अवधि का सरकार को पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट के अन्तर्गत ब्याज देना चाहिए, जो सरकार ने नहीं किया है। याचिकाओं में कहा गया है कि टीचरों ने इसके लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने अपने जनपदों में अर्जी भी दिया है, परन्तु इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूल टीचरों के परिजनों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ग्रेच्युटी भुगतान में विलम्ब पर ब्याज देने को लेकर सरकार को जवाब लगाने का अंतिम अवसर दिया है। सोमवार चार सितंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई होगी।

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