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अखिलेश को रबी-खरीफ फसल में अंतर भी नहीं पता होगा : मुख्यमंत्री योगी

लखनऊ, (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उप्र विधान सभा के मानसून सत्र में सपा मुखिया अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि किसान कभी आपके एजेंडे में रहा ही नहीं। हमारे लिए किसान किसी जाति में नहीं बंटा है। किसान की जाति, मत, मजहब नहीं है। किसान के सम्मान के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि है। फसल बीमा और स्वॉयल हेल्थ कार्ड है। एमएसपी है जिसमें लागत का डेढ़ गुना दाम तय किया गया।

अखिलेश यादव पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि किसानों की चिंता करने वाले नेता विरोधी दल (अखिलेश यादव) को रबी और खरीफ की फसल में अंतर भी नहीं पता होगा। उन्हें तो शायद यह भी नहीं पता होगा कि एमएसपी क्या होता है। शिवपाल यादव को उन्हें यह बताना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई। 2017 से 2022 के बीच लगभग 50 लाख किसान इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। इसमें 4228 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से किसानों को सीधे सीधे पहुंचाने का कार्य हुआ।

प्रदेश में रबी और खरीफ के लाभार्थी किसानों को मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा से जोड़ा जा रहा है। इसके अंतर्गत जिन किसानों की दुखद मौत हुई। ऐसे 9710 किसानों को अबतक 435 करोड़ की धनराशि का भुगतान किया गया है। प्रदेश में किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 02 करोड़ 61 लाख किसानों को 59105 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से दिए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि नेता विरोधी दल बड़ी डींगे हांक रहे थे। लग रहा था कि इन्होंने कुबेर का खजाना खोल रखा था। इनका कुबेर का खजाना देखें तो 2012 से 17 के बीच किसानों को 552 करोड़ रुपये वितरित हुए थे। 2017-22 के बीच 2325 करोड़ रुपये किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में भेजे गये हैं।

मैंने लोहिया आवास और कुबेर के खजाने की भी पोल खोलकर रख दी है। इनके समय में ऐसी व्यवस्था थी कि किसान आत्महत्या कर रहा था। अपनी विफलता को छिपाने के लिए ये आरोप-प्रत्यारोप करते हैं। इनकी प्रवृत्ति हमेशा धोखा देने की रही है। कभी चाचा को, कभी बहन जी को, कभी भाई साहब को धोखा दे दो।

योगी ने कहा कि 2012 से 2017 के बीच 19 लाख किसानों से 94 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद हुई थी। 12 हजार 800 करोड़ का भुगतान नकद किया गया था। इसमें आढ़ती और बिचौलिये बीच में थे। वहीं 2017 और 2022 के बीच 47 लाख 89 हजार किसानों से 225 लाख मीट्रिक टन खरीदा गया है और 41 हजार 299 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से सीधे किसान के खाते में पैसा गया है।

2012 से 2017 के बीच 14 लाख 87 हजार किसानों से धान क्रय किया गया। 2017 से 2023 के बीच में 53 लाख 68 हजार 600 से अधिक किसानों से धान की खरीद हुई। आपके समय 123 लाख मीट्रिक टन धान खरीद होती है। हमारे समय 345 लाख करोड़ मीट्रिक टन की खरीद हुई। आपने 17 हजार करोड़ भुगतान किया और हमने 63936 करोड़ का भुगतान अन्नदाता किसानों को किया।

गन्ना किसानों की बात करें तो जिस छपरौली चीनी मिल के उद्धार की बात चौधरी चरण सिंह जी करते रहे, समाजवादी पार्टी चार बार सरकार में रहने के बावजूद यह कार्य नहीं कर सकी। हमें गर्व है कि छपरौली चीनी मिल हमारी सरकार में शुरू हुई। सपा सरकार में गन्ना किसानों का 95200 करोड़ का भुगतान हुआ था। हमारी सरकार में 02 लाख 16 हजार करोड़ का भुगतान किसानों को किया है।

हमने नई चीनी मिलें दी। बंद चीनी मिलों को चलाया। आपकी सरकार में चीनी मिलों को बंद करके किसानों के पेट पर लात मारी गई। किसानों पर गोलियां चलाई जाती थी। कोरोना कालखंड में जब नेता विरोधी दल घरों में दुबके थे, तब भी हम चीनी मिलें चला रहे थे। उन्हें अपने कार्यकर्ताओं की चिंता नहीं थी। सरकार से ये पूछने की भी जहमत नहीं उठाई कि हम क्या मदद कर सकते हैं। उल्टा वैक्सीन का विरोध कर रहे थे।

2012 से 17 के बीच 14725 टीसीडी पेराई क्षमता का विस्तार हुआ। जबकि 2017 से 2022 के बीच 78900 टीसीडी का विस्तार हुआ। गन्ना पेराई 03 हजार 734 लाख मीट्रिक टन हुआ और 2017 से 2023 के बीच में 06 हजार 404 लाख मीट्रिक टन की पेराई हुई है। चीनी उत्पादन 368 लाख मीट्रिक टन और 17 से 23 के बीच 682 लाख 44 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है।

2012 से 17 के बीच में गन्ने की औसत उपज 61.63 टन प्रति हेक्टेयर थी। जबकि आज उसी किसान के खेत में 83.95 टन का उत्पादन हो रहा है। अबतक गन्ना मूल्य का हम लोगों ने 2022-23 में 38 हजार 51 करोड़ का भुगतान किया है। यह 87 फीसदी है। मैं आश्वस्त करता हूं कि प्रदेश के सभी 65 लाख गन्ना किसानों का भुगतान शत प्रतिशत किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2012 से 2017 में कुल 42 करोड़ लीटर इथनॉल का उत्पादन हुआ। आज अकेले एक वर्ष में 153.71 करोड़ लीटर का उत्पादन कर रहे हैं। यूपी चीनी ही नहीं इथनॉल में भी नंबर वन है। छाता के पुरानी चीनी मिल में इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेस का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे ही देवरिया में भी जल्द इसे बनाने जा रहे हैं।

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