फसलों की सेहत के लिए भी संजीवनी है ढेंचा
हमीरपुर, (हि.स.)। बुन्देलखंड क्षेत्र में इस बार फसलों की सेहत सुधारने के लिए किसानों ने ढेंचा की खेती शुरू की है। ढेंचा की डिमांड बढऩे के कारण इस साल तीन सौ से ज्यादा हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसान ढेंचा की खेती कर अपनी किस्मत चमका रहे है। बुन्देलखंड के चार जिलों में ही खेतों में ढेंचा के पौधे लहलहाने लगे हैं।
बुन्देलखंड क्षेत्र में किसी जमाने में किसान फसलों की उपज बढ़ाने के लिए हरी खाद् व गोबर की खाद् का इस्तेमाल करते थे लेकिन अब पिछले कुछ दशकों से मोटा मुनाफा के लिए खेतों में केमिकल खाद् का धुआंधार उपयोग किया जा रहा। केमिकल खाद् से तैयार अनाज लोगों की सेहत बिगाड़ रही है जबकि खेतों की उर्वरा शक्ति भी अब धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। ऐसे में बुन्देलखंड क्षेत्र के किसानों ने अब पुराने ढर्रे पर खेतीबाड़ी करने के लिए कदम बढ़ाए हैं।
बुन्देलखंड के चित्रकूट धाम मंडल के हमीरपुर जिले में इस बार 55.20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों ने ढेंचा की खेती शुरू की है जबकि चित्रकूट में 96.80, बांदा में 138 व महोबा में 18 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों ने ढेंचा की खेती शुरू की है। इन चारों जिलों में ही हजारों किसान 308 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ढेंचा के पौधे लगाए है। हमीरपुर के उपनिदेशक कृषि हरीशंकर भार्गव ने बताया कि ढेंचा की खेती के लिए डिपार्टमेंट किसानों को अनुदान में बीज देता है। हमीरपुर जिले में भी सैकड़ों किसानों को पचास फीसदी में बीज अनुदान पर उपलब्ध कराया गया है।
लगातार बढ़ रहा है ढेंचा की खेती का रकबा
उपनिदेशक कृषि हरीशंकर भार्गव ने बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र में अब हर साल ढेंचा की खेती का रकबा बढ़ रहा है। किसान अपने खेत में ही ढेंचा के पौधे तैयार कर इसे हरी खाद् बना रहे है। बताया कि बांदा जिले में सर्वाधिक 138 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती किसान कर रहे है। इस समय कहीं-कहीं पर खेतों में ढेंचा की फसल तैयार हो गई है और किसान धान की फसल में इसकी खाद् का इस्तेमाल भी कर रहे है। बताया कि बुन्देलखंड के हमीरपुर जिले में दो सौ से ज्यादा किसान ढेंचा की खेती कर रहे है। इन्हें डिपार्टमेंट से पचास फीसदी अनुदान में बीज बांटा गया है।
ढेंचा से खेतों में किसान बनाते हैं हरी खाद
उपनिदेशक कृषि ने बताया कि ढेंचा क तरह की हरी खाद् है जिसका प्रयोग खेतों के लिए हरी खाद् बनाने में किया जाता है। ढेंचा के पौधे बड़े होने पर उसे काटकर हरी खाद् बनाने के बाद भी ढेंचा फिर से उग आता है। इसके इस्तेमाल के बाद यूरिया खाद् की कोई भी जरूरत किसानों को नहीं पड़ती है। बताया कि ढेंचा की फसल को हरी खाद् के रूप में उपयोग में लाने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेतों में जल धारण की क्षमता में भी इजाफा होता है। बताया कि ढेंचा के खेतों में सडऩे से पोटाश, सल्फर, जिंक, आयरन समेत अन्य पोषक तत्व भी फसलों को मिलते हैं।