पॉवर ट्रांसमिशन की क्षमता को बढ़ाना होगा, तभी हो पाएगी बिजली सप्लाई
लखनऊ (हि.स.)। पीकआवर टाइम में ब्रेकडाउन भी बिजली विभाग की मजबूरी है। यदि ब्रेकडाउन न होता तो पीक डिमांड 29267 को पार कर जाती। ऐसे में 28300 मेगावाट की अधिकतम क्षमता के ट्रांसफार्मरों के सहारे विद्युत सप्लाई कर पाना असंभव हो जाता और पूरी व्यवस्था ध्वस्त होने की संभावना बढ़ जाती।
बिजली विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में तेजी से बढ़ रही विद्युत मांग विकास की रफ्तार को बता रहा है। इसी हिसाब से बिजली विभाग को भी अपग्रेड होना पड़ेगा। इसके लिए सब स्टेशनों की संख्या बढ़ाने की भी जरूरत है। अभी तक प्रदेश के पॉवर ट्रांसमिशन की टोटल क्षमता 28300 है अर्थात इससे ऊपर विद्युत सप्लाई के लिए सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत पड़ेगी। उपभोक्ता परिषद ने पॉवर कॉरपोरेशन व पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन से मांग उठाई है कि टोटल ट्रांसफर क्षमता को तत्काल प्रभाव से 30 हजार मेगावाट किया जाय, तभी आने वाले समय में उपभोक्ताओं को बिजली मिल पाएगी।
जून के महीने में अधिकतम 27611 मेगा वाट अधिकतम पीक डिमांड जा चुकी है। यदि ब्रेकडाउन इतनी बड़ी संख्या में ना होते तो आज प्रदेश की पीक डिमांड कुछ और होती। वर्तमान में यदि यह मान लिया जाए कि पांच से छह प्रतिशत ब्रेकडाउन के चलते डिमांड वास्तविक रूप से सामने नहीं आ रही है तो लगभग 1656 मेगावाट और जुड़ जाएगी और उसको जोड़कर यदि वास्तविक पीक डिमांड निकाली जाए तो वह लगभग 29267 मेगा वाट पार कर जाएगी। इस हिसाब से उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन को टोटल ट्रांसफर कैपेबिलिटी की तैयारी 30,000 मेगावाट की करनी चाहिए थी।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग को बिजली दर की सुनवाई में 21 अप्रैल 2023 को लिखित तौर पर यह अवगत करा दिया था कि उत्तर प्रदेश में पीक डिमांड 28000 मेगा वाट को पार करेगी। तब उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के निदेशक प्लानिंग द्वारा 10 मई को उपभोक्ता परिषद के सवाल पर यह उत्तर दाखिल किया गया था कि वर्ष 2023 -24 में अधिकतम डिमांड 27531 मेगावाट आकलित है, जो अभी ही गलत साबित हो चुका है। अभी सितंबर में इसकी और बढ़ने की संभावना है।