कानपुर, (हि.स.)। मानसून का इंतजार कर रहे लोगों को चक्रवाती तूफान बिपरजॉय ने झटका दे दिया है। इससे मानसून प्रभावित हो रहा है और कानपुर सहित मैदानी क्षेत्रों में मानसून एक सप्ताह की देरी से पहुंचने की संभावना है। हालांकि मानसून से पहले तूफान की सक्रियता से आसमान में बादल छाने के साथ हल्की बारिश के आसार बन गये हैं, जिससे भीषण गर्मी से कुछ राहत मिल सकती है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने गुरुवार को बताया कि आमतौर पर बंगाल की खाड़ी की अपेक्षा अरब सागर में चक्रवात कम आते हैं। चक्रवाती तूफान बिपरजॉय इस सीजन में अरब सागर में आने वाला पहला तूफान है। यह तूफान गर्म हवाओं और समुद्र से नमी सोखने की वजह से बना है जो मानूसन को आगे बढ़ने में रोक रहा है। ऐसे तूफान आने के पीछे ग्लोबल वार्मिंग बहुत बड़ा कारण है। जलवायु परिवर्तन से संबंधित अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि ग्रीनहाउस गैसों के कारण बढ़ने वाली गर्मी का 93 प्रतिशत समंदर सोख लेते हैं। जिस वजह से समुद्रों का तापमान भी हर साल बढ़ रहा है। ऐसे में यहां पर बनने वाले बिपरजॉय जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों की संख्या और भीषणता भी बढ़ जाती है।
एक रिपोर्ट की मानें तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल कहते हैं कि बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब अरब सागर भी गर्म हो रहा है जिस कारण यहां से भी ज्यादा तीव्रता वाले चक्रवात बन रहे हैं। इस चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से जहां पश्चिमी तटों पर तेज हवाओं के साथ बारिश होगी तो वहीं बंगाल की खाड़ी से उत्तर भारत की ओर आने वाला मानसून प्रभावित होगा। इससे कानपुर सहित मैदानी क्षेत्रों में 23 जून के आसपास मानसून आने की संभावना है, जबकि आमतौर पर 18 जून के आसमान मानसून आ जाता है।
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