– विदेश मंत्री जयशंकर की अध्यक्षता में शुरू हुई जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक
वाराणसी (हि.स.)। जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक सोमवार को यहां के बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल सभागार में शुरू हुई। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में जी-20 के सभी सदस्यों के अलावा नौ अतिथि देश और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि सहित 200 लोग भाग ले रहे हैं।
बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्चुअल संबोधन के बाद डॉ. जयशंकर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वैश्विक आर्थिक सुधार की धीमी गति व अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुटता के साथ वैश्विक स्तर पर कदम उठाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लंबा कर्ज संकट और ऊर्जा, खाद्य एवं उर्वरक सुरक्षा पर दबाव, शृंखला में बाधा के चलते वैश्विक सुधार की गति धीमी है। ऐसे में भारत ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्रगति को गति प्रदान करने के लिए महत्वाकांक्षी सात वर्षीय कार्य योजना तैयार की है। इसमें जी-20 गतिविधियों के लिए समन्वित एवं समावेशी खाका पेश किया गया है। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि इस खाका में डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचा, विकास के लिए डाटा को मजबूत करने, महिला नीत विकास के लिए निवेश और पृथ्वी की सुरक्षा के लिए ऊर्जा संसाधनों के परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज अभूतपूर्व एवं विविध संकटों का सामना कर रही है। हमारा युग दिन प्रतिदिन अधिक परिवर्तनशील और अनिश्चित होता जा रहा है। इससे कई देशों पर बढ़ती महंगाई, बढ़ती ब्याज दर और सिकुड़ते राजकोष का प्रभाव पड़ा है। हमेशा की तरह, ऐसे समय में कमजोर और कमजोर लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है विकास के लिए डेटा एवं डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए साहसिक, निर्णायक कार्रवाई की, जो दुनियाभर में ज़मीनी स्तर पर नवाचारों को तुरत प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक है। इन नवाचारों के साथ भारत के अपने अनुभव ने आधे दशक से भी कम समय में हमारे समाज और शासन को बदल दिया है।
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि ‘वन अर्थ’ के रूप में, हमें ज़रूरतमंदों के लिए एकजुटता प्रदर्शित करनी चाहिए। वास्तव में किसी को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए, संसाधन जुटाना चाहिए और हमारे प्रयासों को वहां निर्देशित करना चाहिए जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। हमें अपने दृष्टिकोणों को एकीकृत करने की जरूरत है, ऐसे सिस्टम का निर्माण करना चाहिए जो व्यापार-नापसंद पर भरोसा करने के बजाय तालमेल का लाभ उठाएं। ‘वन फ्यूचर’ के लिए हमें अपने कार्यों के केंद्र में अपने नौजवानों की आकांक्षाओं को रखना होगा। हमारे कार्यों को आज उनके भविष्य को खतरे में नहीं डालना चाहिए। हमें आज अपने सामूहिक भविष्य में निवेश करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह समानता, आपसी सम्मान एव एकजुटता की नींव पर बना हो।
विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 की इस बैठक से विकास से जुड़े इन मुद्दों पर एकजुटता प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। आज जो हम निर्णय करेंगे, उसमें समावेशी, टिकाऊ और लचीले भविष्य के लिए योगदान देने की क्षमता होगी। इसके पहले विदेश मंत्री ने सभी देशों के प्रतिनिधियों का परिचय प्राप्त किया और उनके साथ फोटोग्राफी सेशन भी हुआ। 13 जून की सुबह मेहमान सारनाथ में बुद्ध स्थली का भ्रमण करेंगे। दोपहर बाद गंतव्य को रवाना होंगे।