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5000 सालों से सुग्रीव कि गुफा में खजाने कि रक्षा कर रहा है एक बंदर

दोस्तों कहा जाता है कि 5000 सालों से एक बंदर सुग्रीव की गुफा की रक्षा कर रहा है… आपको बता दें रामायण में जिस ऋष्यमूक पर्वत का उल्लेख किया गया है… वो आज के समय में कर्नाटक के हंपी में है… रामायण काल में यहीं पर बाली और सुग्रीव की राजधानी किष्किंधा बसी हुयी थी… और ऋष्यमूक पर्वत वो जगह है… जहां पर सुग्रीव अपने भाई बाली से छिपकर रहते थे।

आपको बता दें इस पर्वत पर आज भी वो गुफा मौजूद है.. जहां सुग्रीव ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर संकट का समय काटा था… और इसी जगह पर हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी की मुलाकात सुग्रीव से करवायी थी।

इस गुफा से जुड़े आज भी कई ऐसे रहस्य है.. जिन्हें सुलझाना इंसानों के लिए काफी मुश्किल रहा है.. कहा तो ये भी जाता है कि 1990 में इस गुफा में कुछ ऐसा घटित हुआ था… जिसकी वजह से इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।

दरअसल, इस गुफा से हमेशा हिंदुओं की आस्था जुड़ी रही है… क्योंकि यहां पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे… इसलिए इस जगह पर हमेशा भारी भीड़ देखने को मिलती है… कहते हैं इस गुफा के अंदर एक सुरंग बनी है.. जिसके बाहर बैठकर एक बंदर हमेशा पहरेदारी किया करता है… लोगो का मानना है कि वो बंदर कोई साधारण बंदर नही है… क्यों कि वो पांच हजार सालों से उस गुफा की रखवाली कर रहा है… जिसमें भारी खजाना छिपा हुआ है।

वही कुछ लोगो का ये भी मानना है कि जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े हो.. वो जगह वैसे भी किसी खजाने से कम नही।

कहा जाता है कि सालों पहले मीना और सुरेश नाम के दपंत्ति इस गुफा के अंदर गये थे… वहां जाकर उन्हें अलग ही अनुभूति हुयी थी… जैसे मानो वो किसी दिव्य दुनिया में आ गये हो… उन्होंने गुफा का कोना- कोना घूमा.. और फिर वापस अपने घर आ गये।

दोनो काफी थक गये थे… इसलिए घर वापस आकर मीना और सुरेश सो गये… तभी मीना को एक सपना आया… जैसे मानों कोई उसे गुफा के अंदर छिपे खजाने के बारे में बताना चाह रहा हो।

मीना की आंख अचानक खुल गयी… उसने घड़ी में देखा तो सुबह के चार बज रहे थे.. मीना धार्मिक चीजों में बहुत विश्वास रखती थी.. इसलिए उसने ब्रह्म मुहर्त में देखे इस सपने को नजरअंदाज नही किया… उसने इस सपने के बारे में सुरेश को बताया.. जिसके बाद दोनों ने ये तय किया कि वो रात में इस गुफा में जायेंगे… क्या पता कुछ ऐसा मिल जाये.. जिससे उनकी जिंदगी बदल जाये।

रात होते ही मीना और सुरेश उस गुफा में खुदाई करने की मंशा से पहुंच गये… उन्होंने जैसे ही खुदाई शुरु की… उस गुफा की रखवाली करने वाले बंदर ने उनपर हमला कर दिया.. जिसके चलते उन्हें वहां से वापस आना पड़ा… लेकिन दोनों ने जब उसी गुफा के एक छोटे से हिस्से की खुदाई की… तो उन्हें एक हीरा प्राप्त हुआ।

कहते है वो हीरा लेकर दोनो अपने घर वापस आ गये थे… पर जब ये खबर हंपी की जनता को पता चली… तो उन्होंने वहां के पुलिस स्टेशन में इस बात की शिकायत दर्ज करवा दी… और उन दोनो का गिरफ्तार करने की मांग करने लगे।

दरअसल, हंपी के लोगो का वहां से भावनात्मक जुड़ाव बहुत ज्यादा था… इसलिए उस गुफा से ऐसी छेड़छाड़ उन्हें पसंद नही आयी… लोगो की मांग पर पुलिस ने आरोपियों को ढ़ूढ़ना शुरु कर दिया।

पर लगातार 2 महीनों की कोशिशों के बावजूद भी उन दोनों का कही पता नही चला… किसी ने कहा कि वो दोनो मर गये.. तो कोई कहने लगा कि पुलिस के डर से दोनों भाग गये हैं।

पर कुछ महीने बाद इन सारी बातों को झुठलातें हुए… मीना और सुरेश पुलिस के सामने हाजिर हो गये… लोगो के साथ- साथ पुलिस भी उन्हें देखकर हैरान थी… क्यों कि वो लोग न सिर्फ सामने आये बल्कि उन्होंने वो हीरा भी पुलिस को दे दिया… जो उन्हें गुफा से मिला था।

जब पुलिस ने इसके पीछे की वजह पूछी… तो मीना और सुरेश ने बताया.. कि जब दो महीने पहले हमें गुफा से ये हीरा मिला तो हम बहुत खुश हुए थे… हमें लगा था कि हमारी जिंदगी बदल जायेगी… पर इसका बिल्कुल उल्टा हुआ… जिस दिन ये हीरा हमारे घर आया.. उसके अगले दिन मेरा बेटा सीढ़ियों से गिर गया… और उसे बहुत चोटे आयीं… इसके कुछ ही दिन बाद हमारे व्यापार में घाटा होने लगा… हमने जिन्हें पैसा उधार दिया था… वो हमारे रुपये लेकर भाग गये.. कुछ ही दिनों में हमारी सारी दुनिया उजड़ गयी.. इसलिए हम ये हीरा आपको देने आये है.. ताकि आप लोग इसे इसकी असली जगह पर वापस रख दें।

कहा जाता है कि वो हीरा तो उसकी जगह पर वापस रख दिया गया… पर सभी की भलाई को देखते हुए सरकार ने 1990 में ये गुफा हमेशा के लिए बंद करा दी… स्थानीय लोगो का तो ये भी कहना है कि वो इच्छाधारी बंदर आज भी अदृश्य रुप से गुफा की रक्षा करता है।

आपको ये कहानी कैसी लगी हमें जरुर बतायें…

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