नई दिल्ली (ईएमएस)। अक्टूबर महीने में पंद्रह दिनों के अंतराल में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों लगने वाले हैं। दरअसल, सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर, शनिवार सर्व पितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है। वहीं ठीक उसके 15 दिन बाद चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगने जा रहा है। 14 अक्टूबर, बृहस्पतिवार को इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण 14 अक्टूबर को रात 8 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। यह ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में होगा।
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। साल का दूसरा सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास, आदि जगहों पर दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में पूजा-पाठ की मनाही होती है। इस अवधि में भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। लेकिन सूतक काल केवल तभी मान्य होता है, जब सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान हो।
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। भारत में सूतक काल नहीं लगेगा। जानकारों के मुताबिक, साल का आखिरी और दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की मध्यरात्रि को लगने जा रहा है। यह ग्रहण 29 अक्टूबर को रात 1 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर रात 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई देगा। इसलिए सूतक काल भी मान्य होगा। यह यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, उत्तर व पूर्व दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका में भी दिखेगा। यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यदि सूर्य ग्रहण दर्शनीय ना हो तब भी इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। इस दौरान कुछ राशियों को सर्वाधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह राशियां हैं- मेष, कर्क, तुला और मकर। इन राशियों को सूर्य ग्रहण की अवधि विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पूर्ण लगने जा रहा है इसलिए ये काफी पीड़ादायक माना जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण मेष, वृषभ, कन्या और मकर राशि के लिए बेहद अशुभ माना जा रहा है।