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हाई वोल्टेज ड्रामा : हाथ में पेट्रोल लेकर मां-बेटी के तहसील परिसर पहुंचने पर मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

अमेठी (हि.स.) । जिले की तिलोई तहसील परिसर में आज दोपहर बाद उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक बुजुर्ग महिला हाथ में डिब्बा लेकर जिसके अंदर पेट्रोल था और उसके साथ में उसकी बेटी भी थी। जैसे ही दोनों तिलोई तहसील परिसर में पहुंचीं। तहसील में हाई वोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया। तत्काल वहां पर मौजूद लोगों ने महिला को आत्मदाह करने से रोक लिया । मौके पर पुलिस पहुंच गई। विधवा महिला का आरोप है कि मेरे पति की मृत्यु के बाद तहसील प्रशासन से मिलकर गलत तरीके से परिवार वालों ने मेरी जमीन को अपने नाम करवा लिया। यहां पर न्याय नहीं, अन्याय होता है, इसलिए मैं यहीं पर आत्मदाह कर लूंगी।

यह महिला तिलोई तहसील के रामपुर कोच्चि गांव की निवासी है। जहां के रहने वाले राजेंद्र सिंह की 23 जनवरी 2020 को मृत्यु हो गई। वरासत के अनुसार मृतक की पूरी जमीन विधवा पत्नी माया देवी के नाम आनी चाहिए थी। लेकिन इसी बीच मृतक के भाइयों द्वारा एक रजिस्टर्ड वसीयत तहसील प्रशासन में प्रस्तुत कर वरासत पर रोक लगा दिया गया और उसका मुकदमा तहसीलदार कोर्ट में चलने लगा। तहसीलदार कोर्ट द्वारा पूर्व में ही एक बार रजिस्टर्ड वसीयत के पक्ष में आदेश हुआ था। उसे फिर से मुकदमा चलाए जाने का आदेश हुआ और आज दोबारा परिणाम एक बार फिर वही परिणाम आया। जिसमें रजिस्टर्ड वसीयत के आधार पर मृतक की संपूर्ण जमीन उनके भाई की बहू कविता सिंह पत्नी अमित प्रताप सिंह के नाम अंतरण का आदेश हो गया। इसी बात से नाराज विधवा बुजुर्ग महिला और उसकी बेटी ने पेट्रोल लेकर तहसील परिसर पहुंचकर आत्मदाह करने का प्रयास किया।

विधवा महिला उसकी बेटी एवं उनके वकील का कहना है कि मृतक राजेंद्र बहादुर के द्वारा कोई वसीयत नहीं की गई थी जो भी वसीयत प्रस्तुत की गई है वह पूरी तरह से फर्जी और उनके मरने के बाद बनाई गई है तथा तहसील प्रशासन को मिलकर गलत तरीके से उनकी जमीन दूसरों को दे दी गई है। यहां पर न्याय नहीं अन्याय होता है। मौके पर पूरे तहसील प्रशासन में मोहनगंज थाने की पुलिस मौजूद है। अभी भी हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है। तहसीलदार अभिषेक यादव ने बताया कि जो भी आदेश हुआ है, वह नियम संगत हुआ है। कविता सिंह के पक्ष में रजिस्टर्ड वसीयत प्रस्तुत की गई है, इस वसीयत के को निरस्त करने के लिए इन लोगों को दीवानी न्यायालय की शरण लेनी चाहिए थी । पंजीकृत वसीयत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। यदि मेरे आदेश से कोई समस्या है तो यह लोग ऊपर की कोर्ट में जा सकते हैं।

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