तेल अवीव (ईएमएस)। गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध को 40 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं। करीब 11 हजार फिलिस्तीनी मारे गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक मारे गए लोगों में 4500 के करीब बच्चे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इजरायल जिन हथियारों को एक्सपोर्ट करने वाला है, वह उनकी टेस्टिंग गाजा में कर रहा है। इसमें कई खतरनाक हथियार शामिल हैं। आयरन स्टिंग के नाम से जाने जाने वाले खतरनाक प्रेसीजन गाइडेड 120 एमएम मोर्टार बम का इस्तेमाल गाजा में तबाही मचाने के लिए खूब हो रहा है। इतना ही नहीं हाइफा के मैन्युफैक्चरर एलबिट सिस्टम ने अपनी वेबसाइट पर इसका प्रचार भी किया है। इजरायल की सेना के साथ कंपनी ने करार किया है।
इजरायली पीएम नेतन्याही की वॉर कैबिनेट का हिस्सा और रक्षामंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा है कि आयरन स्टिंग का इस्तेमाल खुले इलाकों के साथ शहरों में हो सकता है। इससे मासूमों को छोड़कर आतंकी ठिकानों को तबाह किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि इजरायल जिन हथियारों का इस्तेमाल गाजा में तबाही मचाने के लिए कर रहा है, उन हथियारों को खरीदने वाले बहुत हैं। दुनिया के कई देश इन सर्जिकल किलिंग मशीन को खरीदना चाहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2014 की लड़ाई के दौरान गाजा में इजरायल ने ड्रोन मिसाइल का इस्तेमाल किया था। इसमें 3 एमएम टंग्सटन ट्यूब का इस्तेमाल होता था जो कि 20 मीटर के दायरे में विस्फोट करती थी। इस दायरे में आने वाले लोगों के मांस में इससे निकलने वाली कीलें घुस जाया करती थीं। 2014 के बाद इजरायली कंपनी द्वारा बनाए जाने वाली ड्रोन और रॉकेटी की मांग तेजी से बढ़ी। वहीं हेरोन टीपी एइटन ड्रोन इजरायल का सबसे बड़ा यूएवी था जो कि 2007 में लांच किया गया था। इस इजरायल की सरकारी कंपनी आईएआई बनाती थी। यह इजरायल की डिफेंस कंपनी द्वारा सबसे ज्यादा निर्यात होने वाला हथियार था। यह लगातार 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है और चार मिसाइलें से जा सकता है।
2008-09 की गाजा वॉर के वक्त इसका सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि इससे मासूमों की जान गई थी। ऑपरेशन कास्ट लीड के दौरान गाजा में 353 बच्चे मारे गए थे। ड्रोन से चली मिसाइल ने 116 लोगों की जान ली थी। इसके बाद हेरोन कैटिगरी के ड्रोन की मांग तेजी से बढ़ी। दो साल में कम से कम 100 ड्रोन निर्यात किए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इजरायल से सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है। भारत ने 34 हेररोन ड्रोन भी खरीदे। इसके अलावा फ्रांस ने 24, ब्राजील ने 14, ऑस्ट्रेलिया ने 10 ड्रोन खरीदे। जानकारों का कहना है कि यह नहीं कहा जा सकता कि इजरायल अपने हथियारों को बेचने या फिर उनकी नुमाइश के लिए ही युद्ध लड़ता है, लेकिन इतना जरूर है कि युद्ध के बाद भी इजरायल हथियारों को एक्सपोर्ट करके फायदा कमाता है।