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हरदोई : समाजवादी पार्टी हो या भाजपा, एमवाई के सहारे ही चुनाव मैदान में….

दल अलग, ढपली-थाप अलग अलग, राग एक ‘एमवाई’ का

हरदोई: समस्याएं अलग, मुद्दे अलग, संकल्प पत्र और घोषणा पत्र भी अलग अलग, पर लक्ष्य सभी दलों का जीत का ही है। वो चाहें भाजपा हो या फिर कांग्रेस, सपा और बसपा। सभी दल अलग अलग ढपली पर अलग अलग थाप दे रहे हैं पर राग एमवाई ही निकल रहा है, जिसे जीत की गारंटी माना जा रहा है। अलग अलग दल अलग अलग परिस्थितियों में वोट बटोरने के इस फार्मूले एमवाई का मतलब भी अलग अलग निकाल रहे हैं।

90 के दशक में समाजवादी आंदोलन के विस्तार के साथ ही प्रदेश में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया, उस दौर में ही बिहार में लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया। उस दौर में भाजपा के राममंदिर आंदोलन की अगुवाई कर रहे लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा को बिहार में रोकने के कारण लालू प्रसाद यादव व कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह यादव को अल्पसंख्यकों का एकतरफा समर्थन हासिल हो गया था। उस दौर में एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण जिताऊ साबित हुआ और समाजवादी आंदोलन के दोनों सितारे कई बार मुख्यमंत्री बने और प्रधानमंत्री बनने के करीब भी पहुंच गए। समय बदला और 2014 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और आदित्यनाथ योगी मुख्यमंत्री बने और गुंडो माफियाओं के विरुद्ध अभियान चला कर खुद को सशक्त राजनीतिज्ञ के रूप में स्थापित कर लिया। पूरे देश में एक बार फिर से एमवाई (मोदी-योगी) समीकरण हिट हो गया।

पर इस बार मुस्लिम यादव की बजाए जीत की गारंटी मोदी और योगी की थी। देश के किसी भी राज्य में चुनाव हो, चुनाव प्रचार में सर्वाधिक मांग देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की ही होती रही। हिमाचल हो, हरियाणा या मध्यप्रदेश और राजस्थान। जहां जहां इन नेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली नतीजे उत्साहित करने वाले रहे। अब जबकि एक बार फिर से सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में उतर चुकी हैं, एमवाई के पुराने समीकरण तो राजनीतिक दलों की ताकत बने हुए हैं, एमवाई (महिला-युवा) जीत का नया समीकरण बन चुका है। भाजपा ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं को संसद व विधानमंडलों में 33 प्रतिशत आरक्षण देकर, तीन तलाक, महिला सशक्तीकरण, लखपति दीदी, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना, सुकन्या योजना, जनधन योजना जैसी योजनाएं लाकर 20 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया। युवाओं को लुभाने के लिए कौशल विकास, मुद्रा लोन, प्रधानमंत्री युवा स्वराजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना आदि योजनाएं शुरू कर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा।

रिकार्ड निवेश के माध्यम से प्राइवेट सेक्टर में लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाया। यूपीएससी, एसएससी, आरआरबी के द्वारा पांच वर्ष में 3, 77, 802 युवाओं को केंद्र सरकार ने नौकरी दी। वहीं प्रदेश की योगी सरकार ने पिछले पांच वर्ष की सरकार में पांच लाख युवाओं को पुलिस, दरोगा, शिक्षक व अन्य भर्तियों के माध्यम से सरकारी नौकरी उपलब्ध करवाई। निजी क्षेत्र में एक करोड़ 61 लाख युवाओं को रोजगार व 60 लाख युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध करवा वाई समीकरण साधा। सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी के पिटारे में एमवाई (महिलाओं-युवाओं) को लुभाने के लिए तमाम योजनाएं हैं। कांग्रेस के घोषणा पत्र में परिवार की एक महिला को वर्ष में एक लाख रुपये देने, सरकार बनने पर 30 लाख युवाओं को नौकरी देेने जैसे गेम चेंजर वादे हैं।

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