सोनभद्र (हि.स.)। जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवींद्र विक्रम सिंह की अदालत ने साढ़े 13 वर्ष पूर्व यज्ञ स्थल को लेकर हुई मारपीट के मामले में एक ही परिवार के छह आरोपितों को दोषी ठहराते हुए पांच-पांच वर्ष की कैद और प्रत्येक पर साढ़े आठ हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
छह दोषियों में प्रकाश चंद्र चौबे, कामेश्वर चौबे, शेषमणि चौबे, योगेंद्र चौबे, प्रमोद कुमार चौबे व प्रदीप चौबे हैं। अर्थदंड न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियुक्तगणों की जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक दुद्धी थाना क्षेत्र के धनौरा गांव निवासी प्रह्लाद पांडेय पुत्र रामेश्वर पाण्डेय ने विंढमगंज थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि 18 जनवरी 2011 को सुबह 8 बजे उनके रिश्तेदार सोनभद्र जिले के पतरिहा निवासी रामनगीना चौबे बाजार गए थे। बाजार में सड़क पर प्रकाश चंद्र चौबे से यज्ञ कराने के स्थल को लेकर कहासुनी हो गई। लोगों के काफी समझाने-बुझाने के बाद वे घर चले गए। इसी बात को लेकर गांव के ही प्रकाश चंद्र चौबे, कामेश्वर चौबे, शेषमणि चौबे व योगेंद्र चौबे, प्रमोद कुमार चौबे व प्रदीप चौबे एक रॉय होकर लाठी-डंडा लेकर रामनगीना चौबे के घर में घुस आए और उन्हें लाठी डंडे से मारने पीटने लगे तथा मां बहन की भद्दी-भद्दी गालिया देने लगे।
जब उनका बेटा बुन्देल कुमार चौबे, पत्नी सुमित्रा देवी, बहु किरन देवी और बेटी सुजाता चौबे बचाने गए तो इन लोगों को भी मारा पीटा। इस दौरान रामनगीना चौबे, बुन्देल कुमार चौबे और सुमित्रा देवी को सिर और शरीर में गंभीर चोटें आईं। सुमित्रा देवी के सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से बेहोश होकर गिर गई। सुजाता चौबे और किरन देवी को भी शरीर में चोटें आईं। शोरगुल की आवाज सुनकर सच्चिदानंद चौबे, कलामुद्दीन, आनंद कुशवाहा समेत आसपास के तमाम लोग आ गए और बीच बचाव किया। अभियुक्तगण जान से मारने की धमकी देते हुए चले गए। लोगों के सहयोग से सभी घायलों को दुद्धी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से प्राथमिक इलाज के बाद जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल से भी डॉक्टरों ने गम्भीर हालत को देखते हुए वाराणसी के लिए रेफर कर दिया।
इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की। विवेचक ने मामले की विवेचना किया। पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। कोर्ट ने 6 मार्च 2013 को अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोप तय किया था। मामले के विचारण के दौरान सिर में प्राणघातक चोटें लगने की वजह से सुमित्रा देवी की मौत हो गई। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद आरोपितों को दोषी करार देते हुए 5-5 वर्ष की कैद एवं प्रत्येक पर साढ़े आठ हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड की धनराशि का 75 प्रतिशत रामनगीना चौबे को मिलेगी।