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सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा, अब सरकार चलाने पर फंस रहा पेंच

सीरिया,(ईएमएस)। सीरिया पर विद्रोहियों के कब्जे के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए हैं। 2011 में सीरियाई नागरिकों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए थे, लेकिन तब असद ने इसका जवाब क्रूरता से दिया था, जिससे एक गृहयुद्ध शुरू हुआ, जिसमें पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान गई। 13 साल बाद 8 दिसंबर को असद देश छोड़कर भाग गए और विपक्षी लड़ाकों ने सत्ता अपने हाथों में ले ली, लेकिन असलियत यह है कि कब्जे के बाद भी विद्रोहियों के लिए भी देश चलाना मुश्किल है।

बता दें कि करीब आठ साल तक सीरिया के गृहयुद्ध में मोर्चे स्थिर रहे, जहां असद की सरकार रूस और ईरान के समर्थन से देश के सबसे बड़े हिस्से पर राज कर थी, जबकि विभिन्न विपक्षी समूह उत्तर और पश्चिम में क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए था, लेकिन
27 नवंबर को जब हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नामक इस्लामिक समूह, जो पिछले पांच सालों से इडलीब प्रांत पर शासन कर रहा था उसने 13 गांवों पर कब्जा कर लिया। कुछ ही दिनों में, उन्होंने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो, हमा, होम्स पर कब्जा किया और आखिरकार राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया।

एचटीएस की इस सफलता को ईरान और रूस की सीरिया में कम होती मौजूदगी से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, ईरान जहां एक ओर इजराइल से लड़ाई में लगा हुआ है तो वहीं रूस भी यूक्रेन के साथ लंबे समय से युद्ध में उलझा है। ऐसे में सीरिया के हालातों पर उसका ध्यान नहीं है।

वहीं, विशेषज्ञों ने दमिश्क पर कब्जे की तुलना अफगान सरकार के पतन से की है, क्योंकि यहां भी सेनाओं ने बिना किसी संघर्ष के आत्मसमर्पण कर दिया था। सीरिया पर नजर रखने वाले लोगों ने बताया कि सेना में व्यापक भ्रष्टाचार और लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध से थकने की वजह से उन्होंने घुटने टेक दिए। एचटीएस के नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि यह सफलता उनके द्वारा लड़ाकों को पेशेवर तरीके से अभियान चलाने के लिए प्रशिक्षण देने के चलते मिली थी।

जैसे ही एचटीएस के नेतृत्व वाले विद्रोहियों के समूह ने राजधानी में प्रवेश किया वैसे ही राष्ट्रपति असद जो 2000 से सीरिया पर शासन कर रहे थे वह देश से भाग निकले। सबसे बड़ा क्षेत्र सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) के पास है, जो अमेरिका द्वारा समर्थित है और जो पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में कुर्दों द्वारा बसाए गए क्षेत्रों पर नियंत्रण रखता है। उत्तर में, जो तुर्की के साथ सीमा लगती है वहां अंकारा द्वारा समर्थित सीरियाई राष्ट्रीय सेना है, जो एचटीएस द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों से भी बड़े क्षेत्र पर काबिज है। दमिश्क पर कब्जा करने के बाद एचटीएस अब सीरिया में सबसे ताकत बन गई है और माना जा रहा है कि वह अब असद शासन द्वारा शासित क्षेत्रों पर नियंत्रण कर चुकी है। हालांकि, यह समानता इतनी सरल नहीं हो सकती क्योंकि सीरिया जैसे जटिल क्षेत्र में सशस्त्र समूहों के बीच नियंत्रण और प्रभाव के लिए लड़ाई जारी है। दक्षिण में स्थानीय मिलिशिया समूहों ने स्वेइदा और दारा पर नियंत्रण कर रखा है। सीरियाई राष्ट्रीय सेना ने एचटीएस के साथ इस हमले में भाग लिया था, लेकिन उनके बीच अतीत में मतभेद रहे हैं और उनके हित अब भी अलग हैं।

एचटीएस दमिश्क में किसी भी राजनीतिक सत्ता में एक केंद्रीय भूमिका निभाएगा। क्या एसडीएफ या तुर्की समर्थित सीरियाई राष्ट्रीय सेना एचटीएस-नेतृत्व वाले समूहों के साथ मिलकर एक सरकार बनाएगी यह सवाल अब भी अछूता है, लेकिन इन तीन समूहों के बीच गहरी दुश्मनी है। एचटीएस के नेता अल-जुलानी ने लोगों द्वारा चुने गए काउंसिल के आधार पर संस्थाओं द्वारा शासित एक सरकार बनाने का प्लान तैयार किया है। उन्होंने अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने का वादा किया है, लेकिन यह भी कहा है कि शासन इस्लामिक सिद्धांतों पर आधारित होगा।

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