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सीतापुर : बलात्कारी व हत्यारे पिता को मुत्युदंड की सजा, महज साढ़े तीन वर्ष में ही अपराधी को…

 -खुद ही बलात्कार व हत्या कर थाना रेउसा में वर्ष 2020 में दर्ज कराई थी रिपोर्ट
-शासकीय अधिवक्ता आशुतोष अवस्थी की प्रबल पैरवी के दम पर साढ़े तीन वर्ष में हुई सजा

सीतापुर। जिले के थाना रेउसा क्षेत्र के एक कलियुगी बलात्कारी तथा हत्यारे पिता को आज स्पेशल पाक्सो कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास तथा मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। साथ ही पचास हजार रूपया का अर्थदंड भी लगाया गया है। सजा सुनाने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने कलम को तोड़ दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से तेजतर्रार पैरवी शासकीय अधिवक्ता आशुतोष अवस्थी द्वारा की गई। जिसके फलस्वरूप महज साढ़े तीन वर्ष में ही अपराधी को न्यायालय ने मृत्युदंड व आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

घटना वर्ष 1 फरवरी 2020 की है। थाना रेउसा क्षेत्र के ग्राम कांतापुरवा रसूलपुर के रहने वाले रामकृपाल पुत्र रामदत्त ने अपनी पुत्री के साथ पहले बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर उसके शव को घर के अंदर बनी नाली में दबा दिया। रामकृपाल अपने कुकृत्य को छिपाने के लिए खुद ही थाना रेउसा पहुंचा और तहरीर दी कि उसकी बेटी लापता है। जिस पर पुलिस ने उसकी रिपोर्ट दर्ज कर ली। पुलिस ने छानबीन की तो उसकी पुत्री का शव घर के अंदर नाली से बरामद हुआ। पुलिस ने तत्काल उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा। चिकित्सकीय परीक्षण में बलात्कार तथा हत्या किए जाने की पुष्टि हुई। चिकित्सकीय परीक्षण में बालिका के शरीर पर जो सीमेन पाया उसका परीक्षण शक के आधार पर रामकृपाल के सीमेन से किया। जैसे ही सीमेन मैच हुआ कि पुलिस के रोगटे खड़े हो गए। पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो रामकृपाल ने सच्चाई उगल दी। पुलिस ने पिता रामकृपाल पर हत्या के तहत धारा 302, 201 तथा पाक्सो एक्ट लगाया।

महज साढ़े तीन वर्ष में ही अपराधी को दिलवाई सजा
अभियोजन की तरफ से पैरवी करने वाले तेजतर्रार शासकीय अधिवक्ता आशुतोष अवस्थी ने बताया कि प्रबल पैरवी का ही परिणाम है कि महज साढ़े तीन वर्ष में ही मुकदमा को अंजाम तक पहुंचाया और अपराधी को उसकी किए गए अपराध की सजा सुनवाई। उन्होंने बताया कि अपराधी को न्यायालय स्पेशल कोर्ट पाक्सो के विद्वान न्यायाधीश राहुल प्रकाश ने उसे हत्या के जुर्म में मृत्युदंड, धारा 201 में सात वर्ष की सजा तथा पाक्सो एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। धारा 376 एबी में पचास हजार का अथर्रदंड भी लगाया। श्री अवस्थी ने बताया कि मृत्युदंड की सजा सुनाने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने अपनी कलम तोड़ दी।

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